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कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया समर्थकों का बुरा हाल! जो हारते हैं वे हारते हैं, जो जीतते हैं उनका मंत्री पद भी पक्का नहीं होता

मध्य प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन गई है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कई विधायकों और मंत्रियों का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाना मुश्किल हो गया है

भोपाल : मध्य प्रदेश में मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है और भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी बन गई है. अब मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद चल रही है. इसी बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मायूस नजर आ रहे हैं. सिंधिया समर्थक कई ऐसे नेता हैं, जिन्हें इस बार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाने का मौका नहीं मिला. इस के अतिरिक्त सिंधिया समर्थक पांच विधायक चुनाव हार गए, जबकि तीन मंत्रियों को भी हार का सामना करना पड़ा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों में मायूसी दिखाई दे रही

विधानसभा चुनाव 2023 भले ही भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों में मायूसी दिखाई दे रही है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री राजवर्धन सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया और सुरेश धाकड़ को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह यदि विधायकों की बात की जाए तो जसपाल सिंह जज्जी, कमलेश जाटव, प्रद्युमन सिंह लोधी, इमरती देवी, रघुराज सिंह को भी विधानसभा चुनाव में कारारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

विधानसभा चुनाव 2023 में सिंधिया समर्थक कुल सात मंत्रियों ने चुनाव जीत लिया जबकि तीन विधायक भी चुनाव जीत गए. इस प्रकार अब सिंधिया समर्थक 10 विधायक मध्य प्रदेश शासन में सहयोगी हैं।

इन समर्थकों को नहीं मिल पाया टिकट

सिंधिया समर्थक सात ऐसे नेता हैं जिनको विधानसभा चुनाव 2023 में किस्मत आजमाने का मौका ही नहीं मिल पाया. इनमें पूर्व मंत्री ओपीएस भदौरिया भी शामिल हैं. इसके अलावा ग्वालियर से मुन्नालाल गोयल, दिमनी से गिरिराज दंडोतिया, गोहद से रणवीर सिंह जाटव, करेरा से जसवंत सिंह जाटव, भांडेर से रक्षा सनोरिया, नेपानगर से सुमित्रा देवी को इस बार चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद थी मगर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।

विकास या विश्वासघात?

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसोदिया के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी का छोटा सा कार्यकर्ता भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना प्रदेश के मुखिया का पद महत्वपूर्ण है. ऐसी स्थिति में भाजपा किसी भी हारे विधायक की महत्ता कम नहीं होने देगी. जिन्हें टिकट नहीं मिला उन्हें भी निराश होने की जरूरत नहीं है. बीजेपी का नारा ही सबका साथ सबका विकास का है. दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के के मिश्रा के मुताबिक जिन लोगों ने विश्वासघात किया है, उन्हें जनता ने धूल चटा दी है. मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार जरूर बन गई है मगर सिंधिया समर्थकों का सूपड़ा साफ हो गया है।

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