धमतरी
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Dhamtari Bilai Mata: इस मंदिर में जलाई गई PM मोदी और CM योगी के नाम की ज्योति, मंदिर से जुड़ी है अनोखी मान्यता

हर जगह लोग देवी मां की भक्ति में सराबोर हैं,इस बार मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी के नाम पर दीपक जलाए जा रहे हैं. प्राचीन काल से ही माता दुर्गा अगनारमोती, रिसाई मां, दंतेशरी माता रही हैं

धमतरी, Dhamtari Bilai Mata: वैसे तो नवरात्रि के इस मौके पर हर जगह लोग देवी मां की भक्ति में सराबोर हैं, लेकिन धमतरी के विध्यवासिनी मां के मंदिर का नजारा कुछ अलग ही है. बिलाई माता के नाम से मशहूर माता के इस दरबार में पिछले पांच सौ वर्षों से आस्था की लौ जल रही है और कई बार भक्त यहां के चमत्कारों से रूबरू हो चुके हैं। इस बार मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी के नाम पर दीपक जलाए जा रहे हैं. प्राचीन काल से ही माता दुर्गा अगनारमोती, रिसाई मां, दंतेशरी माता रही हैं। के रुप में इलाके की रक्षा करती आ रही है। धमतरी के रामबाग में मौजूद ये उसी माता का दरबार है जो आदि जमाने में गगंरेल की बीहड वादियों में वास करती थी।

घनीभूत विध्यवासिनी की यह प्रतिमा लगभग पांच सौ वर्षों से

यहां पाषाण रूप में प्रकट होकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती आ रही है। इतिहास के बारे में यह माना जाता है कि जब कांकेर के राजा नरहरदेव शिकार के लिए जा रहे थे, तब उन्हें घने जंगल में देवी माँ के दर्शन हुए और स्वप्न के बाद उन्होंने विध्यवासिनी के रूप में माँ की पूजा की। तब से लेकर आज तक वह इसी शक्ति स्थल पर पूजा करते हैं. धारा निरंतर बह रही है. इस मंदिर में दोनों नवरात्री के दौरान दीपक जलाने की परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है।

इस माता को बिलाई माता के नाम से भी जाना जाता है

ऐसा माना जाता है कि शहर के इष्टदेव इस मंदिर की घंटियों की गूंज सुनकर शहर के लोग अपने दिन की शुरुआत करते हैं। इस माता को बिलाई माता के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जब माता पहली बार प्रकट हुईं तो उनके पत्थर के स्वरूप के दोनों ओर दो काली बिल्लियाँ थीं, जो मंदिर बनने के बाद गायब हो गईं।

देवी मां के प्रति आस्था ऐसी है कि लोग हर दुख और समस्या होने पर यहां आते हैं

जिससे लोगों को सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसा लगता है मानों मातृशक्ति का प्रभाव इस धर्मनगरी की धड़कनों में समा गया है। इस स्थान पर आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता, बल्कि यहां आने वाले भक्त को अपार सुख की अनुभूति होती है। लोगों का मानना ​​है कि माता के इस दरबार का संरक्षण हर वर्ग और समुदाय पर समान रूप से है।

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