बड़ी साजिश तो नहीं बृजभूषण पर आरोपों की झड़ी?
पश्चिमी क्षेत्र को नामंजूर पूर्वी क्षेत्र की डब्लू एफ आई की कुर्सी?
मनोज मौर्य
गोंडा।विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर देश व देशवासियों का नाम रोशन करने वाले रेसलिंग के खिलाड़ियों द्वारा अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष व वरिष्ठ सांसद बृजभूषण सिंह पर गंभीर आरोप लगाकर एक बड़ा सवाल तो खड़ा ही कर दिया है। लेकिन इसी के साथ पहली बार खेल के किसी बड़े पद का पूर्वी क्षेत्र द्वारा प्रतिनिधित्व पर पश्चिमी क्षेत्रों की बेचैनी भी साफ नजर आ रही है। जिससे इसमें किसी बड़ी साजिश की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। इस मामले में सरकार व खेल मंत्रालय द्वारा इसकी गंभीरता से जांच कराये जाने की आवश्यकता है। जिससे इस खेल के सम्मान के साथ उत्तर-प्रदेश व बिहार समेत अन्य पिछड़े राज्यों के खिलाड़ियों जिन्हें एक विशेष क्षेत्र के दबदबे में एक बार फिर दबकर शून्य होने से रोका जा सके।
बताते चलें कि,आजादी के बाद से ही उत्तर-प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों के लोगों के साथ दिल्ली,हरियाणा,महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दोयम दर्जे का व्यवहार होता रहा है।वहां आम तौर पर उन्हें बिहारी व भैया के नाम से संबोधित किया जाता रहा है। इसी के साथ यहाँ खेलों के ऊपर खास करके रेसलिंग व कुछ अन्य खेल यहाँ के जिम्मेदार राजनैतिक प्रतिनिधियों की लापरवाहियों के चलते इनका विकास सही तरीके से नहीं हो सका था।जिसके कारण इन खेलों पर पूरी तरह से दबदबा हरियाणा व महाराष्ट्र,राजस्थान जैसे राज्यों का ही रहा है।हालांकि लोकल स्तर पर इन पूर्वी क्षेत्रों में कुश्ती जैसी चीजें यहाँ की मिट्टी में शामिल रहीं हैं जो सरकारों की लापरवाही के चलते कभी परवान नहीं चढ़ सकीं। जिसका कारण यह रहा कि,इन क्षेत्रों के रेसलिंग के खिलाड़ियों द्वारा किसी अंतर्राष्ट्रीय व एशियन गेम में प्रदर्शन हरियाणा व महाराष्ट्र जैसे राज्यों की तरह नहीं रहा।लेकिन 2011 में डब्लू.एफ.आई. के अध्यक्ष के रूप में बृजभूषण शरण सिंह का चयन खुद पहलवान रहे बृजभूषण ने इस क्षेत्र में पहलवानों की समस्याओं को गंभीरता से समझा तथा उनके निदान हेतु प्रदेश की राजधानी समेत प्रदेश के अन्य जगहों पर रेसलिंग के लिये बुनियादी सुविधाओं का विकास किया तथा पूर्वी व अन्य पिछड़े राज्यों के खिलाड़ियों को तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया कराकर उन्हें प्रोत्साहित किया।जिसके चलते देशी व विदेशी पटल पर पदक पाने के राह में इन पिछड़े क्षेत्रों के पहलवान भी आगे बढ़ चले हैं। जिसके चलते सीधे-सीधे पश्चिमी क्षेत्र को कहीं न कहीं अपने वर्चस्व को लेकर अब असुरक्षा की भावना हो चली थी। इसी के साथ कुछ नये नियमों से भी पश्चिमी क्षेत्र के खिलाड़ी कहीं न कहीं परेशानी महसूस करने लगे थे। उन्हें लगने लगा था कि,कहीं बृजभूषण के अध्यक्ष रहते हुये पूर्वी क्षेत्र के खिलाड़ियों का आने वाले समय में दबदबा न कायम हो जाय तथा उनके इस बर्चस्व वाले खेल वह उनके बराबर न पहुँच जायें ।
शायद यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है खिलाडियों द्वारा अध्यक्ष पर यह गंभीर आरोप लगाना।जिसको आधार बनाकर संभवतः बड़ी साजिश प्लान कर ऐन चुनाव के समय सांसद बृजभूषण सिंह को डब्लू एफ आई के अध्यक्ष पद से हटाकर दोबारा किसी पश्चिमी क्षेत्र से अध्यक्ष को बनाना। जिससे पूर्वी क्षेत्र में यह खेल अपने पुराने हाल में पहुँच जाये तथा उनका इस खेल में बर्चस्व बरकरार रहे।जो शायद बृजभूषण के अध्यक्ष रहते तो संभव नहीं हो सकता। बहरहाल अब यह मामला देश व विदेश की मीडिया में सुर्खियां बन रहीं हैं। उनके द्वारा अध्यक्ष पर लगाये जा रहे आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो कुछ दिनों में पता चल ही जायेगा लेकिन इस मामले से दुनिया में भारत व भारत के खिलाड़ियों की छवि पर जो करारा आघात पहुँचा है। यह बड़ा ही शर्मशार करने वाला है।
बहरहाल एक दिन धरना भी खत्म हो जायेगा, खिलाड़ी अपने रिंग में चले जायेंगे, हो सकता है अध्यक्ष बृजभूषण सिंह भी अपने पद से हट जायें या हटा दिये जायें लेकिन इस मामले का दाग मिटाने में भारत व भारतीय कुश्ती महासंघ तथा उसके खिलाड़ियों को वर्षों लग जायेंगे।
GNS