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मध्य प्रदेश को मिला नया CM, दो दिन बाद सागर की 511 महिलाओं ने छोड़ा लाडली बहना योजना का लाभ, क्या है वजह?

सागर के परियोजना अधिकारी द्वारा जारी किया गया लाडली ब्राह्मण योजना छोड़ने का नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. यह देख 511 लाड़ली बहनों ने योजना का लाभ छोड़ दिया

सागर : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नैया पार लगाने वाली लाडली बहना योजना को लेकर प्रदेश में प्रतिदिन सियासत हो रही है. योजना को लेकर नए सीएम डॉ. मोहन यादव कुछ बोलने से बच रहे हैं तो वहीं एक दिन पहले सागर प्रशासन का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इस पत्र में लाडली बहना योजना में अपात्र महिलाओं से योजना का लाभ छोडऩे की बात कही गई. प्रशासन के आदेश के बाद सागर की 511 लाडली बहनों ने योजना का लाभ छोड़ दिया, हालांकि प्रशासन ने बाद में इस आदेश को रद्द कर दिया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी आदेश की कॉपी 

सागर के परियोजना अधिकारी द्वारा 4 दिसंबर को एक आदेश जारी किया गया था. इस आदेश में पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और स्व सहायता समूह के अध्यक्ष, सचिव व सदस्य को चेतावनी दी गई थी कि अगर शासन की शर्तों के विपरीत लाभ ले रहे हों तो 15 दिन में छोड़ दें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी. इस आदेश की कॉपी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई तो कांग्रेस ने भी इसपर कटाक्ष किया।

मामले को बढ़ता देख शुक्रवार को सागर कलेक्टर के एक्स हैंडल पर इस आदेश को निरस्त करने की जानकारी दी गई. जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला एवं बाल विकास) की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है।

लाडली बहनों का अहम योगदान

बता दें पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा मार्च महीने में लाडली बहना योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत पूर्व सीएम चौहान ने लाडली बहनों को प्रति महीने एक-एक हजार रुपए देने की बात कही थी. हालांकि बाद में 3000 रुपए तक योजना को पहुंचाने कहा. योजना के तहत आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई और जून महीने से लाडली बहनों को 1000-1000 रुपए खाते में आने लगे. दो महीने बाद महिलाओं के खाते में 1250 रुपए आने की शुरुआत हुई।

इस योजना का असर यह हुआ कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुत मिला. बीजेपी जहां 163 सीटों तक पहुंची तो वहीं कांग्रेस महज 66 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. राजनीतिक जानकार बीजेपी की इस जीत के पीछे लाडली बहना योजना का अहम योगदान मान रहे हैं।

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