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पाली के निम्बली गांव में साकार हुआ ‘ मिनी भारत’, 34 हजार 500 से अधिक स्काउट्स ने लिया हिस्सा

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

प्रदेश को 67 साल बाद एक बार फिर भारत स्काउट एवं गाइड संगठन की राष्ट्रीय जम्बूरी के आयोजन का गौरव प्राप्त हुआ। देश के विभिन्न प्रांतों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की कला एवं संस्कृति के वाहक के रूप में लगभग 34 हजार 500 से अधिक स्काउट्स, गाइड्स, रोवर्स और रेंजर्स के साथ-साथ बांग्लादेश, सऊदी अरब, घाना, श्रीलंका, मलेशिया, नेपाल, केन्या आदि देशों के 400 स्काउट इस सात दिवसीय वृहद आयोजन के साक्षी बने।

राजस्थान के पाली जिले के निम्बली गांव एवं इससे लगती करीब 2 हजार बीघा जमीन पर बीते 6 माह तक प्रशासन और भारत स्काउट एवं गाइड संगठन के अथक प्रयासों से एक अस्थाई गांव विकसित किया गया। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 4 जनवरी, 2022 को जम्बूरी का उद्घाटन किया। इन 35 हजार स्काउट-गाइड के रहने के लिए 220 हेक्टेयर क्षेत्र में 3520 टेंट बनाए गए। जम्बूरी के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ राज्यपाल श्री कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत भी मौजूद रहे। यह राजस्थान की धरा पर आयोजित दूसरी जम्बूरी है। इससे पहले वर्ष 1956 में प्रदेश में पहली बार गुलाबी नगरी जयपुर में राष्ट्रीय जम्बूरी आयोजित हुई थी।

राष्ट्रीय जम्बूरी का आयोजन 70 साल से किया जा रहा है। वर्ष 1953 में पहली बार हैदराबाद में जम्बूरी का आयोजन किया गया था। इसके बाद धीरे-धीरे इस आयोजन में भाग लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ती गई। जम्बूरी का उद्देश्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को एकजुट करना और देश के राज्यों की सांस्कृतिक विविधता से परिचित कराना था। भारत स्काउट्स गाइड्स ने अपने संगठन के अंतर्गत देश में 52 राज्य बना रखे हैं. इनमें देश के सभी राज्य एवं संघ शासित प्रदेश भी शमिल हैं।

’झांकी से प्रदर्शित हुई राज्यों की कला-संस्कृति

विभिन्न राज्यों से आए स्काउट एवं गाइड दलों ने अपने राज्यों की गंगा-जमुनी तहज़ीब, समृद्ध कला, संस्कृति एवं इतिहास को दर्शाती झांकियाँ प्रदर्शित की। इन झांकियों में राज्यों के पहनावे, लोक नृत्यों आदि का परिचय कराया गया। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए स्काउट-गाइड दलों ने मरूधरा के गौरवशाली इतिहास, समृद्ध सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय विरासतों का आकर्षक प्रदर्शन किया। राजस्थानी बैंड के साथ रंगीलो राजस्थान थीम पर सजी कोटा के विश्व प्रसिद्ध दशहरा मेले, रणथंभौर टाइगर प्रोजेक्ट, कैला देवी मेला करौली, डिग्गी कल्याण मंदिर टोंक सहित भरतपुर-धौलपुर की झांकियां आकर्षण का केंद्र रही। वहीं झारखंड का आदिवासी नृत्य, बिहार का छट पूजन दृश्य लोगों ने खूब पसन्द किया। ओडिसा, नागालैंड, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब आदि प्रान्तों की झांकियां भी आकर्षक रहीं।

’रंगोली के ज़रिए भरे ‘विविधता में एकता के रंग ’

आज़ादी के अमृत महोत्सव का रंग गुजरात से आये स्काउट्स दल ने जहां अपनी रंगोली में बिखेरा वहीं कर्नाटक के दल ने वहां की कला-संस्कृति को सुंदर रंगों में ज़मीन पर उकेरा। इसी तरह जम्मू-कश्मीर से आयी वंदना ने महिला सशक्तीकरण का संदेश रंगोली में दर्शाकर राजस्थान सरकार का धन्यवाद किया। हरियाणा से आपसी सौहार्द एवं भाईचारे के रंग लेकर आये स्काउट्स में ख़ासा उत्साह नज़र आया। रंगोली में राष्ट्रीय एकता, आज़ादी का अमृत महोत्सव, स्वच्छ भारत-सुंदर भारत आदि के रंग बिखरे।

’सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम ने किया रोमांचित’

भारतीय वायुसेना की सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम के हवाई करतबों को देखकर वहां मौजूद अतिथिगण, प्रतिभागी एवं जनसमूह रोमांचित हो गए। सभी ने इन करतबों का तालियों के साथ उत्साहवर्धन किया। सूर्य किरण एरोबेटिक टीम की उड़ान को देखने वालों का रोमांच भी सातवें आसमान पर था. रोहट के आसमान में वायुसेना के जांबाज लड़ाकों ने आसमान में देश-विदेश के हज़ारों लोगों के सामने भारतीय वायु सेना की शूरवीरता की इबारत लिखी।

गौरतलब है कि जम्बूरी का इतिहास साउथ अफ्रीका से जुड़ा है। जिसके अनुसार यहां के मैफकिंग नाम के एक कस्बे में सन् 1899-1900 के बीच 1500 गोर और 8000 स्थानीय लोग रहते थे। डच (बोअर) की करीब 9000 लोगों की सेना ने मैफकिंग पर कब्जा करने के लिए उसे चारों तरफ से घेर लिया। इस दौर में बेडन पावेल (जिन्होंने स्काउट की स्थापना की) मैफकिंग में ही पोस्टेड थे। डच सैनिकों से युद्ध लड़ने के लिए उनके पास 1 हजार सैनिक और सिर्फ 8 बंदूकें थीं, लेकिन इसके बाद भी पावेल ने 218 दिन तक डच लोगों को अपने कस्बे में नहीं घुसने दिया। इसका सबसे बड़ा कारण मैफकिंग में 9 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों की सेना तैयार करना था। छोटे बच्चों को फर्स्ट एड और दूसरे कामों में लगाया गया और बड़े लोगों को युद्ध लड़ने के लिए। इसी घटना के बाद बेडन पावेल ने ‘एड्स टू स्काउटिंग’ नामक पुस्तक लिखी। इसके बाद पावेल ने 1907 में पर्ल हार्बर के निकट ब्राउन सी द्वीप में 29 जुलाई से 9 अगस्त तक 20 लड़कों के साथ प्रथम स्काउट शिविर आयोजित किया। जिसके आधार पर ही भारत में जम्बूरी का आयोजन होता है।

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