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रिक्शा चालक ईश्वर साहू बने विधायक, जानिए किस पार्टी ने दिया टिकट और क्यों?

7 बार विधायक रहे रविन्द्र चौबे इस बार कांग्रेस के टिकट पर 9वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे. वहीं, 5वीं कक्षा तक पढ़े 42 वर्षीय ईश्वर साहू समेत पूरा परिवार पेशे से खेतिहर मजदूर है.

बेमेतरा: छत्तीसगढ़ विधानसभा की सबसे हाईप्रोफाइल सीटों में से एक साजा से बीजेपी प्रत्याशी ईश्वर साहू कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविन्द्र  चौबे को 5 हजार 196 वोटों से हराकर विधायक बन गए हैं |

राज्य सरकार में कृषि, पंचायत एवं संसदीय मंत्री रहते हुए रविन्द्र चौबे ने चुनाव लड़ा था.

7 बार विधायक रहे रविन्द्र चौबे इस बार कांग्रेस के टिकट पर 9वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे. वहीं, 5वीं कक्षा तक पढ़े 42 वर्षीय ईश्वर साहू समेत पूरा परिवार पेशे से खेतिहर मजदूर है. चुनाव लड़ने से पहले ईश्वर साहू अपनी जीविका चलाने के लिए नागपुर में सब्जी बेचते थे और रिक्शा चलाते थे।

बीजेपी ने ईश्वर साहू को हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनाया था.

विधानसभा चुनाव में ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने उनके चेहरे को पूरे राज्य में हिंदुत्व का मुद्दा बना दिया और इसका असर चुनाव नतीजों में बीजेपी के पक्ष में भी देखने को मिला. अब परिजनों और ग्रामीणों को उम्मीद है कि ईश्वर साहू का कद राजनीति में और बढ़ेगा.

सांप्रदायिक हिंसा में बेटे की मौत

दरअसल, 8 अप्रैल 2023 को दो स्कूली छात्रों के बीच साइकिल चलाने को लेकर मामूली विवाद हो गया था. इनमें से एक हिंदू और दूसरा मुस्लिम समुदाय से था. गांव में पहले से ही दो समुदायों के बीच विभिन्न मामलों को लेकर विवाद चल रहा था। ऐसे में दो छात्रों के बीच हुए इस मामूली विवाद ने सांप्रदायिक रूप ले लिया. इसके बाद विवाद हिंसा में बदल गया और इसमें ईश्वर साहू शामिल थे22 वर्षीय बड़े बेटे भुवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गयी. इस हत्या के बाद गांव का माहौल तनावपूर्ण हो गया. बीजेपी के नेतृत्व में हिंदूवादी संगठनों ने 10 अप्रैल को राज्य बंद का आह्वान किया है. इस दौरान गांव में बाहरी लोगों की भीड़ बढ़ गयी. मुस्लिम बहुल सड़कों पर पथराव हुआ. उसी दिन एक मुस्लिम परिवार की झोपड़ी में आग लगा दी गई। 11 अप्रैल की सुबह पता चला कि बिरानपुर गांव से कुछ दूरी पर एक खेत में दो लोगों के शव पड़े हैं. पुलिस जांच में उनकी पहचान पिता-पुत्र रहीम मोहम्मद और इदुल मोहम्मद के रूप में हुई।के रूप में की गई. इस दौरान यहा हुई हिंसा में कुछ पुलिस वाले और पत्रकार भी घायल हुए थे.

बीजेपी ने की थी 11 लाख की मदद

इस बीच, प्रशासन ने स्थिति को सामान्य करने के लिए इलाके में कर्फ्यू लगा दिया. सरकार ने ईश्वर साहू के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की पेशकश की थी, लेकिन परिवार ने इसे नहीं लिया। इसी बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने मदद के नाम पर ईश्वर साहू को 11 लाख रुपये दिये. छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका था जब हिंदू-मुस्लिम विवाद हुआइतनी बड़ी सांप्रदायिक हिंसा में बदल गया. घटना की चर्चा पूरे देश में हुई. 15 दिन से अधिक तक इलाके में गंभीर तनाव का माहौल बना रहा. जिसका असर इस वक्त भी नजर आता है |

ईश्वर साहू की संपत्ति कितनी है?

ईश्वर साहू की संपत्ति की बात करें तो चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के मुताबिक, ईश्वर साहू के पास कुल 11 लाख 50 हजार 270 रुपये नकद हैं। उन्हें बीजेपी नेताओं ने दिया. जबकि पत्नी सती साहू के पास 5 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है. विधानसभा चुनाव में पांच हजार से ज्यादा वोटों से जीतने वाले ईश्वर राज्य के सबसे गरीब विधायकों में से हैं।

ऐसा है ईश्वर साहू के घर का नजारा

चार फीट चौड़े दरवाजे से करीब 25 मीटर तक गली में चलने के बाद ईश्वर साहू का घर है. घर के बाहर 15 बाय 15 का टेंट लगा हुआ है. बधाई देने वालों का घर पहुंचने का सिलसिला जारी है. परिवार मेहमाननवाजी में लगा है. घर में ही बना ताजा चूड़ा और सोनपापड़ी लोगों को नाश्ते में दिया जा रहा है. करीब 400 स्क्वायर फीट के कच्चे मकान में 10 बाय 8 की साइज के 2 कमरे हैं. 5 बाय 5 की साइज की रसोई है, बाकी हिस्सा बरामदा है. बरामदे में कुर्सी पर युवक की फोटो रखी है, जिसपर माला टंगी है और मृत्यु तारीख 9 अप्रैल 2023 लिखा है. इसी कुर्सी के आस पास जमीन पर ईश्वर साहू की मां सुखिया बाई, पिता समय लाल बैठे हैं. पत्नी सती बाई व परिवार के अन्य सदस्य घर आने वाले लोगों की मेहमान नवाजी में जुटे हैं.

मां को नहीं पता विधायक क्या होता है?

स्थानीय मौसम में सुबह से बदली छाई है. ठंड का एहसास हो रहा है. बरामदे में शॉल ओढ़े बैठी सुखिया बाई एनडीटीवी के संवाददाता को देखते ही मुंह को हाथ से ढकते हुए मुस्कुराने लगी. बातचीत में सुखिया ने पूछा कि विधायक क्या होता है. हम गरीब लोग क्या जानेंगे. उन्होंने कहा कि जैसे सरपंच लोगों के लिए काम करते हैं, मेरा बेटा भी वैसे ही काम करेगा. रसोई में सब्जी बना रही है, ईश्वर के छोटे भाई की पत्नी लोकेश्वरी को भी नहीं पता है विधायक क्या होता है. लेकिन, वे कहती हैं कि जनता ने जैसे उनका साथ दिया, वे भी वैसे ही जनता का साथ देंगी. वहीं, पास में बैठे ईश्वर साहू के पिता समय लाल कहते हैं- मेरा बेटा विधायक बन गया, इसकी हमें खुशी है. हम गरीब लोग हैं, हमें जनता ने जिता दिया |

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