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RRCAT Indore: यह डिवाइस तीन दिन में कान-नाक के बैक्टीरिया और फंगस को खत्म कर देगी

स्थापना दिवस पर आरआरसीएटी ने फोटो डायनामिक थेरेपी पर आधारित एयरोलाइट और नेसोलाइट उपकरण लॉन्च किए।

इंदौर,RRCAT Indore: आरआरसीएटी इंदौर। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से कान और नाक में फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण को खत्म करने में 10 से 15 दिन लगते हैं। इंदौर के राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (आरआरसीएटी) और एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने ईयरफोन के आकार का एक उपकरण तैयार किया है। इसमें फोटो डायनामिक थेरेपी के जरिए तीन दिन में फंगस और बैक्टीरिया को खत्म किया जा सकता है।

AiroLite डिवाइस कान के संक्रमण को खत्म कर देगा और NasoLite नाक के संक्रमण को खत्म कर देगा। इसका प्रयोग कोई भी व्यक्ति घर पर भी कर सकता है। इसके इस्तेमाल से पहले मरीज को मेथिलीन ब्लू ड्रॉप स्प्रे लगाना होगा. इसके बाद डिवाइस को तीन मिनट तक इस्तेमाल करना होगा। यह डिवाइस सोमवार को आरआरसीएटी के स्थापना दिवस पर लॉन्च किया गया।

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एमजीएम मेडिकल कालेज के नाक, कान, गला रोग विभाग द्वारा एक वर्ष में 50 लोगों पर इस उपकरण का उपयोग कर उपचार के लिए प्रमाणित किया गया है। एमजीएम मेडिकल कालेज के ईएनटी विभागाध्यक्ष डा. यामिनी गुप्ता के मुताबिक नाक के संक्रमण के उपचार में फोटो डायनेमिक थेरेपी का उपयोग अन्य देशों में हुआ है लेकिन कान के संक्रमण की रोकथाम में इस थेरेपी का विश्व में पहली बार उपयोग इंदौर में ही किया गया है।

 

आरआरकैट और कंपनियों के बीच नौ समझौते
सोमवार को आरआरकैट के 41वां स्थापना दिवस मौके पर संस्थान द्वारा तैयार इन दोनों डिवाइस की तकनीकों को उद्योगों को हस्तांतरित किया गया। मेडिकल क्षेत्र के उपकरण बनाने वाली कंपनियां अब इस डिवाइस को तैयार करेंगी। सोमवार को संस्थान के इंक्यूबेशन सेंटर और कंपनियों के बीच नौ अन्य प्रोजेक्ट पर भी समझौते हुए।

 

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इस तरह काम करेंगे उपकरण
नासोलाइट: यह ऐसा उपकरण है, जो नाक में गंभीर संक्रमण पैदा करने पहले सुपरबग, कोविड, इन्फ्लूएंजा, साइनसाइटिस, निमोनिया, म्यूकोर्मिकोसिस पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को खत्म करेगा। इस तरह के संक्रमण नाक से शुरू होकर गले और शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचते हैं। अभी ड्राप्स का उपयोग करने पर ज्यादा समय लगता है। यह रोगाणुरोधी फोटो डायनेमिक थेरेपी के सिद्धांत पर काम करता है। इस डिवाइस से फोटो डायनेमिक लाइट तीन मिनट बैक्टीरिया व फंगस को पूर्ण खत्म करेगी। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इस उपकरण का क्लीनिकल और घरेलू प्रयोग किया जा सकेगा।

 

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ईरोलाइट: यह उपकरण कान में संक्रमण वाले सूक्ष्मजीवों व फंगसको को तेजी से निष्क्रिय करेगा। अभी फंगस होने पर उसे रुई से साफ करने बाद ईयर ड्राप्स डालते है। इसमें में ड्राप्स के साथ फोटोथैरेपी पद्धति के उपयोग से उपचार का असर जल्द दिखाई देगा।

 

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मुंह के कैंसर का 15 मिनट में लगेगा पता
आरआरकैट में मुंह के कैसर को पता लगाने के लिए आप्टिकल स्पेक्ट्रोस्कोपी आधारित ओंको डायग्नेस्कोप डिवाइस तैयार की गई हैइसके माध्यम से मुंह के कैंसर का पंद्रह मिनट में पता लग सकेगा। इसके बाद रोगी बायप्सी की पारंपरिक प्रक्रिया से कैंसर की स्तर की पड़ताल हो सकेगी। आरआरकैट के निदेशक डा. शंकर नाखे ने बताया कि उपकरण में प्रतिदीप्ति और परावर्तन रोशनी मुंह के टिशू के संपर्क में आती है, जो बीमारी का पता लगाने में सहायक रहती है। 90 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ ऊतक विकृति का निर्धारण करती है। जांच करने के बाद रोगियों की एक विस्तृत निदान रिपोर्ट तैयार करता है। कई अस्पताल में विभिन्न कैंसर स्क्रीनिंग शिविरों में इस उपकरण के माध्यम से पांच हजार से अधिक रोगियों की जांच की जा चुकी है।

 

आठ साल में तैयार होगा इंडस-3
स्थापना समारोह के मुख्य अतिथि भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुंबई के निदेशक डा. विवेक भसीन थे, जिन्होंने भाभा और कैट के संयुक्त प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा की। उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है। समारोह में निदेशक डा. शंकर नाखे ने बीते साल कैट की उपलब्धियों के बारे में बताया है। वे कहते है कि इंडस 1 और इंडस 2 नामक दो इलेक्ट्रान त्वरक के प्रोग्राम लगभग पूरे हो चुके हैं। इंडस 2 के तहत बीमलाइंस और कार्यरत हो रही है।
अब टेक्नोलाजी की जेनरेशन स्टेज 4 को लेकर काम शुरू किया जा रहा है। इसके लिए इंडस 3 को लेकर रूपरेखा बनाई जा रही है। यह प्रोजेक्ट मेगा साइंस विजन डाक्यूमेंट फार एक्सीलेटर साइंस टेक्नोलाजी में टाप पर रखा है। प्रोजेक्ट 97000 करोड़ रुपये का है, जिसमें स्पेस, टेक्नोलाजी और वैज्ञानिक की जरूरत है। यह सारी वस्तुएं कैट के पास मौजूद है। प्रोजेक्ट पर कम से कम आठ साल काम किया जाएगा। उसके बाद रिजल्ट सामने आएंगे। वैसे इन दिनों प्रोजेक्ट पर मंजूरी मिलना बाकी है।

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