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Sankashti Chaturthi 2024: सकट चतुर्थी 28 को 29 कब मनाया जाएगा, संतान की सेहत व सफलता के लिए यह व्रत खास

इस चतुर्थी को सकट चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ से गणेश जी बनाकर उनकी पूजा की जाती है और तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाया जाता है

आस्था एवं धार्मिक, Sankashti Chaturthi 2024 : नए साल में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। सनातनधर्मावलंबी इस चतुर्थी को सकट चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ से गणेश जी बनाकर उनकी पूजा की जाती है और तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। इस दिन तिल और गुड़ दान करने का भी महत्व है। शहर का प्रमुख गणेश मंदिर एमएलबी रोड स्थित खासगी बाजार में स्थित मोटे गणेश है।अर्जी वाले गणेश एवं हरिशंकरपुरम के प्राचीन गणेश मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। सकट चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखकर चंद्र देव की पूजा की जाती है। यह व्रत संतान की समृद्धि के लिए रखा जाता है।

संतान के स्वास्थ्य और सफलता के लिए व्रत करना विशेष होता है

हिंदू धर्म में गणपति जी को प्रथम पूजनीय माना जाता है। इनकी पूजा के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता। नए साल में सकट चतुर्थी यानी माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 29 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इसे तिलकुटा चतुर्थी, बड़ी चतुर्थी, माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। सकट चतुर्थी साल 2024 की पहली संकष्टी चतुर्थी होगी। यह संकष्टी चतुर्थी व्रत संतान के स्वास्थ्य और सफलता के लिए विशेष माना जाता है। इसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है।

सकट चतुर्थी का यह है मुहूर्त

सकट चतुर्थी शुभ मुहूर्त और समय पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की सकट चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 10:00 बजे शुरू होगी और अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8:54 बजे समाप्त होगी. अमृत ​​(सर्वोत्तम) समय – प्रातः 7.11 से 8.32 तक। शुभ (सर्वोत्तम) समय- सुबह 9.43 से 11.14 बजे तक. सायंकाल का समय- सायं 4 बजे।शाम 4:37 बजे से शाम 7:37 बजे तक. 29 जनवरी को चंद्रमा रात्रि 9:25 बजे उदय होगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत समाप्त होता है।

ये है व्रत कथा

सकट चतुर्थी का महत्व: पद्म पुराण के अनुसार, भगवान गणेश ने माता पार्वती को सकट चतुर्थी व्रत के बारे में बताया था, इसलिए इसका विशेष महत्व है। महिलाएं सुख, सौभाग्य, संतान की समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना से यह व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है। शास्त्रों के अनुसार माघ मास की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की थी और अपनी तीव्र बुद्धि और ज्ञान का परिचय दिया था।ज्ञान का परिचय हुआ. इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं में प्रमुख माना और सबसे पहले पूजा करने का अधिकार दिया। इस व्रत की महिमा से संतान को उत्तम स्वास्थ्य, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन स्नान, दान, सेवन और पूजा में तिलों का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।

सकट चतुर्थी पर गणेश मंदिरों में विशेष सजावट होगी

बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे और श्रीजी को तिल-गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग लगाकर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करेंगे। मंदिरों में भगवान गणेश और माता रिद्धि-सिद्धि का विशेष शृंगार किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिरों में सजावट भी की जाएगी.

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