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शास्त्री जी की सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी ने उन्हें और महान बना दिया

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

रायबरेली : भारत के द्वितीय प्रधानमन्त्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि समाजवादी व्यापार सभा के तत्वाधान में कैम्प कार्यालय कोतवाली रोड रायबरेली में लाल बहादुर शास्त्री स्मृति दिवस के रूप में मनायी गयी, इस अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे व्यापार सभा के जिलाध्यक्ष एवं प्रान्तीय व्यापारी नेता मुकेश रस्तोगी ने कहा कि शास्त्री जी 9 जून 1964 को देश के दूसरे प्रधानमन्त्री के रूप में पदभार ग्रहण किया, उनके शासनकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया इस दौरान शास्त्री जी ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया, उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी ने उन्हें और महान बना दिया, इसी वजह से उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रान्तीय सपा नेता ओपी यादव एडवोकेट ने कहा कि ताशकन्द में समझौता वार्ता के दौरान शास्त्री जी की एक ही जिद थी कि उन्हें बाकी सब शर्ते मंजूर हैं, परन्तु जीती हुई जमीन पाकिस्तान को लौटाना मंजूर नहीं काफी जद्ोजिहाद के बाद शास्त्री जी ने समझौते के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए, परन्तु यह कहते हुए हस्ताक्षर किये थे कि वे हस्ताक्षर जरूर कर रहे हैं, पर यह जमीन कोई दूसरा प्रधानमन्त्री ही लौटायेगा, वे नहीं।

हस्ताक्षर के कुछ घण्टे बाद शास्त्री जी की 11 जनवरी 1966 को मृत्यु हो गयी। स्वर्णकार विचार मंच के मण्डल अध्यक्ष पूर्व प्रधान भौमेश कुमार सोनी ने कहा कि उ0प्र0 के गोविन्द बल्लभ पंत के मंत्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौपा गया, उन्होनें प्रथम बार महिला संवाहकों की नियुक्ति की थी। नगर अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने कहा कि पुलिस मंत्री होने के बाद उन्होनें भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया। सम्राट अशोक क्लब भारत के जिला संयोजक एस.एन. मौर्य ने कहा कि शास्त्री जी ने अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आन्दोलन 9 अगस्त से 11 दिन तक भूमिगत रहते हुए चलाया और 19 अगस्त 1942 को गिरिफ्तार कर जेल भेज दिये गये। छात्र नेता अनुज यादव बरवारी ने कहा कि भारत सरकार को चहिए कि वह ताशकंद समझौता के तुरन्त बाद शास्त्री जी की मौत के रहस्य का पर्दाफास करे।इस अवसर पर मुख्य रूप से मुन्ना सिंह चैहान, मो0 मुशीर, राम प्यारे गौतम, मो0 फुरकान, सुशील कुमार मौर्य, पवन अग्रहरि, प्रदीप पटेल, सत्यांशु दुबे, अनुज त्रिवेदी, सुरेश स्वर्णकार, जेपी शर्मा, फूलचन्द्र अग्रहरि आदि लोगों ने शास्त्री जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृृतित्व पर प्रकाश डाला।

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