Reverse Mortgage: आखिरी सांस तक रिवर्स मॉरगेज बनेगा बुढ़ापे की लाठी, जानें- नियम
आपका बटुआ- आपकी प्रॉपर्टी ही आपको देगी पेंशन जैसी कमाई
बिज़नेस,Reverse Mortgage: देश में 60 साल से ज्यादा की करीब 15 करोड़ बुजुर्ग आबादी गरीबी, बीमारी, किसी न किसी किस्म की पाबंदी या पैसों की तंगी से जूझ रही है। बुजुर्गों की यह संख्या देश की कुल आबादी की 10.5% है।
माना जा रहा है कि 2036 तक यह आबादी बढ़कर 22.7 करोड़ हो जाएगी और 2050 तक बढ़कर 34.7 करोड़ हो जाएगी। यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (UNFPA) की इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 में ये बातें सामने आई हैं।
हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने रिवर्स मॉरगेज लोन की स्कीम ऑफर की है, ताकि कोई भी बुजुर्ग इसे लेकर अपनी बाकी की जिंदगी आराम से गुजर-बसर कर सके। इस स्कीम में बैंक किसी भी बुजुर्ग को उसकी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के बदले लोन के रूप में एक तय रकम ऑफर करता है।यह उन बुजुर्गों के लिए फायदेमंद है, जो बुढ़ापे में रेगुलर इनकम चाहते हैं। इसमें उन्हें लोन लेने पर उसके भुगतान की जरूरत नहीं पड़ती है। वो चाहे तो इस लोन को चुकाकर अपनी प्रॉपर्टी बेच सकते हैं।
आज आपका बटुआ में जानेंगे रिवर्स मॉरगेज लोन क्या होता है और इसके फायदे क्या होते हैं।
नीचे दिए ग्राफिक से यह समझते हैं कि देश में बुजुर्गों के क्या हालात हैं-
रिवर्स मॉरगेज क्या है?
रिवर्स मॉरगेज एक लोन है, जो 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मिल सकता है। यह लोन उनके घर या फ्लैट के बदले कैश में मिलता है
आम तौर पर परंपरागत मॉरगेज में होमओनर को कर्ज देने वाली संस्था या बैंक को चुकाना पड़ता है, जबकि रिवर्स मॉरगेज में कर्ज देने वाला बैंक ही बुजुर्ग को पेमेंट करता है।
खास बात यह है कि इस लोन से वरिष्ठ नागरिकों को अपना घर छोड़कर किराए के मकान में नहीं जाना पड़ता है और न ही रियल एस्टेट की दिन प्रतिदिन बदलती कीमतों के बारे में सोचना पड़ता है। कस्टमर को अपने जीवनकाल में यह लोन कभी नहीं चुकाना होता और मिले हुए फंड्स के इस्तेमाल पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं होती।
रिवर्स मॉरगेज दूसरे मॉरगेज लोन से कितना अलग
आमतौर पर रिवर्स मॉरगेज, नियमित मॉरगेज लोन के बिल्कुल विपरीत होती है। सामान्य मॉरगेज लोन में व्यक्ति को प्रॉपर्टी खरीदने के लिए फाइनेंशियल संस्थान को मासिक किस्तों (EMI) का भुगतान करना पड़ता है, जबकि रिवर्स मॉरगेज उस वरिष्ठ नागरिक के लिए होती है जो पहले से ही घर या प्रॉपर्टी का मालिक होता है। मगर, उसके पास इनकम का कोई नियमित सोर्स नहीं होता।
ऐसी स्थिति में वह अपनी प्रॉपर्टी को किसी फाइनेंशियल संस्थान के पास गिरवी रख देता है और बदले में वह फाइनेंशियल संस्थान उस बुजुर्ग को नियमित अमाउंट का भुगतान करता है।
बुजुर्ग की मौत के बाद फाइनेंशियल संस्थान को उसकी प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार होता है और इस प्रक्रिया में बची हुई रकम उस बुजुर्ग के वारिसों को दे दी जाती है।
रिवर्स मॉरगेज लोन की विशेषताएं
प्रॉसेसिंग फीस कम: रिवर्स मॉरगेज लोन लेने के लिए प्रॉसेसिंग फीस देनी पड़ती है, जो पूरे लोन अमाउंट का 0.50% होती है। हालांकि, ज्यादातर बैंक इसके लिए मिनिमम फीस 2 हजार रुपए और मैक्सिमम 20 हजार रुपए चार्ज करते हैं।
लोन मंजूर होने के बाद की फीस: लोन एग्रीमेंट व माॅरगेज पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी, प्राॅपर्टी इंश्योरेंस प्रीमियम और सीईआरएसएआई रजिस्ट्रेशन फीस (5 लाख रुपए तक 50 रुपए फीस या 5 लाख से ज्यादा पर 100 रुपए फीस और जीएसटी) देनी होगी।
15 साल तक टेन्योर: ज्यादातर बैंकों ने लोन की अवधि मैक्सिमम 15 से 20 साल तक तय कर रखी है। मगर कई बार यह कर्ज लेने वाले की उम्र के हिसाब से भी तय होती है।
प्रीपेमेंट पेनाल्टी नहीं: वरिष्ठ नागरिक रिवर्स मॉरगेज लोन का प्रीपेमेंट कर सकते हैं। इस पर उन्हें किसी भी तरह का कोई चार्ज या पेनाल्टी नहीं देनी पड़ती है।
रिवर्स मॉरगेज की 2007-08 में पहली बार केंद्रीय बजट में हुई थी चर्चा
2007-08 के केंद्रीय बजट में पहली बार रिवर्स मॉरगेज लोन के कॉन्सेप्ट पर चर्चा की गई थी। दरअसल, रिटायरमेंट के बाद की लाइफ के लिए सबसे जरूरी बात फाइनेंशियल सपोर्ट है। जिसमें मेडिकल, जीवन-यापन और दूसरे खर्चों के लिए एक नियमित आय की कमी होने की चिंता सताने लगती है। ऐसे में भारत में ‘रिवर्स मॉरगेज लोन’ का कॉन्सेप्ट वजूद में आया।
रिवर्स मॉरगेज लोन के फायदे ही फायदे
रिवर्स मॉरगेज लोन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह वरिष्ठ नागरिकों को मानसिक शांति और सामाजिक सुरक्षा देता है। इससे कोई भी बुजुर्ग-
- फाइनेंशियल रूप से आत्मनिर्भर होता है।
- मेडिकल इमरजेंसी में पैसों का मोहताज नहीं रहता है।
- अपने बच्चों पर बोझ नहीं बनता है।
- मानसिक शांति और सुकून के साथ जीवन बिताता है।
- अपना खोया हुआ आत्मसम्मान पाता है।
ये हैं चुनौतियां
भारत में आज भी ज्यादातर माता-पिता अपनी प्रॉपर्टी को अपने बच्चों के नाम ट्रांसफर करना पसंद करते हैं। प्रॉपर्टी को किसी फाइनेंशियल संस्थान को मॉरगेज पर देने का विचार उनके लिए काफी नया है।
रिवर्स मॉरगेज में दूसरे तरह के मॉरगेज के मुकाबले शुरुआती लागत काफी अधिक होती है और यह लागते कस्टमर के लिए प्रारंभिक लोन बैलेंस का हिस्सा बन जाती है। उसे इन पर ब्याज देना पड़ता है।
इसके अलावा एक और समस्या यह है कि रियल एस्टेट इंडस्ट्री में प्रॉपर्टी की वैल्यू, ब्याज की दरें और लोन की राशि पूरी लोन अवधि के दौरान बदलती रहती हैं।