सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मध्य प्रदेश पुलिस को फटकार, क्या लाइब्रेरी में किताब मिलने पर प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए?
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल की जमानत का विरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि लाइब्रेरी में किताब मिलने के बाद प्रिंसिपल को गिरफ्तार क्यों किया जाए। क्या आप गंभीर हैं? दरअसल, लॉ कॉलेज में एक किताब मिली थी, जिसे हिंदूफोबिक बताया गया था।
इस बीच, इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, प्रिंसिपल को गिरफ्तारी की धमकी का सामना करना पड़ा और अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी। उसके खिलाफ मध्य प्रदेश पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राजकीय न्यू लॉ कॉलेज इंदौर के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. इनामुर रहमान ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और गिरफ्तारी से बचने का अनुरोध किया था।
साथ ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इनामुर रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 16 दिसंबर को उन्हें रिलीव कर दिया गया। उसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। जब इस मामले की सुनवाई हुई तो मध्य प्रदेश पुलिस की दलील से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया।
वहीं चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘राज्य को कुछ गंभीर काम करना चाहिए। वे कॉलेज के प्राचार्य हैं। उन्हें गिरफ्तार क्यों करें? पुस्तकालय में एक पुस्तक मिली है, जिसमें कर्मकांड के बारे में बताया गया है। यह किताब 2014 में खरीदी गई थी और आज उसे गिरफ्तार करने के प्रयास क्यों किए जा रहे हैं? क्या आप गंभीर हैं?’
मध्य प्रदेश पुलिस के वकील ने कहा, ‘यह किताब सिर्फ लाइब्रेरी में नहीं मिली। आरोपी प्राचार्य इसी किताब से छात्रों को पढ़ाता था। यह प्रिंसिपल के इस दावे का खंडन करता है कि उन्हें पुस्तकालय में किताब रखे जाने की जानकारी नहीं थी। दरअसल एलएलएम के एक छात्र ने प्रिंसिपल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। छात्रा का आरोप है कि इस किताब में निराधार तथ्य दिए गए हैं और कई बातें देशद्रोही हैं। यह देश की अखंडता के खिलाफ है।’
प्रचार्च ने कहा कि यह किताब 2014 में लाइब्रेरी में आई थी। उस समय मैं इस कॉलेज का प्रिंसिपल नहीं बल्कि प्रोफेसर था। मैं ऐसी परिस्थितियों में किताब की खरीद के लिए ज़िम्मेदार नहीं हूँ।’ उन्होंने कहा कि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इसे राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनका किताब के प्रकाशन या मार्केटिंग से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए उन्हें इस मामले में घसीटना गलत है और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।