अंजलि हत्याकांड : दो डीसीपी की भूमिका पर सवालिया निशान
इंद्र वशिष्ठ
सुलतान पुरी मामले में पुलिस को मौके से लगातार सूचना देने और आरोपियों की कार का पीछा करने वाले दीपक का बयान अफसरों के दावे और पुलिस की कार्यशैली/व्यवस्था की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है.
दो डीसीपी की भूमिका –
इस सनसनीखेज मामले ने रोहिणी जिले के डीसीपी गुरइकबाल सिंह और बाहरी जिले के डीसीपी हरेन्द्र सिंह की भूमिका और पेशेवर काबलियत पर सवालिया निशान लगा दिया है. रोहिणी जिले के डीसीपी गुरइकबाल सिंह ने उस सुबह 4.04 बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष को क्षेत्र में अपनी मौजूदगी के बारे में सूचित किया था। डीसीपी के जिले में मौजूद होने के बावजूद पुलिस गाड़ी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने कार सवार आरोपियों को नहीं पकड़ा.
कमिश्नर की भूमिका –
इस मामले ने पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा दिया है. नाकाबिल अफसरों और निकम्मे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
लाश कफ़न में है क्या ?- रोहिणी जिले के कंझावला थाना के लाड पुर गांव के दीपक दहिया ने एक जनवरी को तड़के तीन बज कर 24 मिनट पर पीसीआर को सूचना दी कि कुतुब गढ़ की ओर जा रही ग्रे रंग की बलेनो कार में नीचे एक लाश फंसी/अटकी हुई है. पुलिस द्वारा दीपक को फोन कर यह पूछा जाता है कि बताओ लाश कफ़न में है या वैसे ही है. दीपक ने बताया कि लाश नग्न अवस्था में है. पुलिस द्वारा दीपक से यह सवाल पूछने का कोई औचित्य नही था.
पल पल की सूचना दी- दीपक ने बताया कि वह कार करीब साढ़े तीन बजे उसकी दुकान के सामने से वापस कंझावला की ओर गई. दीपक ने कार का पीछा किया. कार का नंबर भी पुलिस को बताया. कार कंझावला से फिर वापस मुडी. इसके बाद जौंती गांव के पास से फिर वापस कंझावला की ओर मुड़ गई.
पुलिस ने पकड़ना ही नहीं चाहा- इस बार दीपक ने पाया कि तब कार के नीचे लाश नहीं थी. दीपक कार का पीछा करता रहा. पंजाब खोड़ की ओर से पुलिस की एक गाड़ी आई, लेकिन वह भी कराला स्कूल के पास जा कर रुक गई. दीपक ने कार का पीछा करना जारी रखा. रोहिणी जिले के बेगम पुर में खड़ी एक अन्य पुलिस गाड़ी में सवार पुलिसकर्मियों को दीपक ने वहां से गुजर रही उस कार के बारे में बताया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उस कार को रोकने की कोई कोशिश नहीं की. दीपक ने बताया कि वह पुलिस कर्मी नशे में थे. इसके बाद वह कार अवंतिका की ओर चली गई. पुलिस के रवैये से निराश होकर दीपक भी वहां से वापस लौट गया. दीपक ने कहा कि जब प्रशासन ही पकड़ना नहीं चाह रहा था, तो मैं क्या कर सकता था. पुलिस अफसर जनता से अपराध के मामले में सहयोग करने की अपील करते रहते है. लेकिन दीपक जैसे जागरूक युवक ने तो खुद भी उस कार का पीछा किया. लेकिन रोहिणी जिले के पुलिस जिप्सी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने ही अभियुक्तों की कार को रोकने/ पकड़ने की कोई कोशिश नहीं की.
अफसर सड़कों पर उतरे या नहीं- अफसरों द्वारा दावा किया जाता है कि 31 दिसंबर की रात को तो पुलिस द्वारा सड़कों पर सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए जाते हैं. पुलिस निरंतर गश्त करती है पिकेट लगा कर चेकिंग की जाती है. इस दावे की पोल भी इस मामले ने खोल दी. आला अधिकारियों को बताना चाहिए कि सूचना मिलने के बाद संबंधित थानों/ जिलों के कितने एसएचओ, एसीपी आदि सड़कों पर उस कार को पकड़ने के लिए लगे थे. अगर ये सब सड़कों पर थे, तो कार सवार उनसे तभी क्यों नहीं पकडे़ गए. जबकि कंझावला से कुतुब गढ़ के बीच में तो कार ने लगातार कई चक्कर लगाए थे और दीपक भी पीछा करते हुए पल पल की खबर पुलिस को दे रहा था.
डीसीपी हरेन्द्र सिंह की भूमिका- बाहरी जिले के डीसीपी हरेन्द्र सिंह ने एक जनवरी को मीडिया को बताया कि यह मामला पूरे तौर पर जानलेवा दुर्घटना का है. कार चलाने वाले लोग पीड़िता को काफी दूर तक घसीटते हुए ले गए. इस सिलसिले में लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई मौत का मामला धारा 279,304 ए के तहत दर्ज किया गया है.
बिना तफ्तीश निष्कर्ष निकाला- डीसीपी ने हल्की धारा में मामला दर्ज करके एक तरह से बिना तफ्तीश के खुद ही यह साबित कर दिया कि अभियुक्तों को मालूम ही नहीं था, कि उनकी कार के नीचे लड़की फंसी हुई है. जबकि अभियुक्तों ने जानबूझकर ऐसा किया या उन्हें पता ही नहीं चला कि लड़की नीचे फंसी हुई है. यह बात तो तफ्तीश के बाद ही स्पष्ट हो सकती है. हालांकि बाद में हंगामा होने पर दो जनवरी को पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा 304 इस मामले में जोड़ दी.
दर्दनाक मौत- बाहरी जिले के कृष्ण विहार में 31 दिसंबर को आधी रात के बाद करीब दो बज कर पांच मिनट पर बलेनो कार ने स्कूटी को टक्कर मारी थी. अंजलि (20) कार के नीचे फंस गई. कंझावला इलाके में सुबह चार बजकर 11 मिनट पर अंजलि की लाश मिली थी. अंजलि सिंह के शरीर को दो घंटे तक 12-13 किलोमीटर से अधिक घसीटा गया.
पीसीआर कॉल – बाहरी जिला पुलिस को दुर्घटना संबंधी कोई कॉल प्राप्त नहीं हुई थी। दुर्घटना की पहली कॉल रोहिणी जिला पुलिस को 2.18 बजे रोहित नाम के व्यक्ति से मिली थी। जिसमें बताया गया था कि एक बच्चे को बलेनो ने टक्कर मार दी है। सुबह 4.11 बजे साहिल ने पीसीआर को कंझावला इलाके में एक शव होने की सूचना दी थी जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची। सुलतान पुरी एसएचओ ने गश्त के दौरान 3.53 बजे दुर्घटनाग्रस्त स्कूटी देखी थी.
विकास ने भी पुलिस को सूचना दी- जमेटो में काम करने वाले विकास ने भी मीडिया को बताया कि ढाई से तीन बजे के बीच महाराजा अग्रसेन रोड पर उसकी बाइक उस कार से टकराने से बच गई. तभी उसने कार में लड़की फंसी हुई देखी थी. जिसकी सूचना उसने अपाचे बाइक सवार दो पुलिसकर्मियों को दी थी. विकास की सूचना पर इन पुलिसकर्मियों ने क्या कार्रवाई की यह भी खुलासा अफसरों को करना चाहिए.
(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)