IIT इंदौर को ₹100 करोड़ का ANRF-PAIR अनुदान:सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर व मटेरियल्स में नवाचार का मुख्य केंद्र बना
IIT इंदौर को ₹100 करोड़ का ANRF-PAIR अनुदान:सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर व मटेरियल्स में नवाचार का मुख्य केंद्र बना
IIT इंदौर को सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर और मटेरियल्स के क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एएनआरएफ-पीएआईआर (पार्टनरशिप्स फॉर एक्सेलरेटेड इनोवेशन एंड रिसर्च) अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अनुदान अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (ANRF) द्वारा प्रदान किए जाने वाले ₹100 करोड़ के प्रतिष्ठित अनुदानों में से एक है। देशभर से केवल सात विशिष्ट संस्थानों को यह अनुदान मिला है, जिनमें IIT इंदौर शामिल है। IIT इंदौर ‘SAKSHAM’ नेटवर्क का हब संस्थान इस पहल के अंतर्गत IIT इंदौर एक नए लॉन्च किए गए सहयोगी अनुसंधान नेटवर्क के हब संस्थान के रूप में कार्य करेगा, जिसका नाम 'SAKSHAM' (साइंटिफिक एडवांसमेंट इन नॉलेज फॉर सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर एंड मटेरियल्स) है। यह नेटवर्क ‘हब एंड स्पोक’ फ्रेमवर्क पर आधारित है, जिसमें IIT इंदौर के साथ 6 साझेदार संस्थान जुड़े हैं: IIT इंदौर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सक्षम नेटवर्क सात संस्थानों के 56 विभागों और 165 संकाय सदस्यों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अंतःविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक साझा मंच प्रदान करेगा। यह नेटवर्क तीन प्रमुख विषयों पर केंद्रित होगा: सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर और मटेरियल्स। शोध क्षमता में असमानता को कम करना उद्देश्य प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शुरू की गई और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप तैयार की गई ANRF-PAIR पहल का उद्देश्य भारत में शोध क्षमता में असमानताओं को कम करना है। मेंटरशिप आधारित साझेदारी को बढ़ावा देकर यह पहल उभरते हुए शोध संस्थानों को शीर्ष स्तरीय केंद्रों के साथ सहयोग करने का अवसर देती है। इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण, संसाधनों की साझेदारी, अनुसंधान प्रशिक्षण, और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से एक स्थायी अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। वैश्विक समस्याओं का समाधान देने की आकांक्षा IIT इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा, “यह अनुदान अंतःविषय अनुसंधान को आगे बढ़ाने और परिवर्तनकारी शैक्षणिक साझेदारी बनाने के प्रति IIT इंदौर की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सक्षम नेटवर्क के माध्यम से हम एक सहयोगी, समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना चाहते हैं, जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करे।
IIT इंदौर को सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर और मटेरियल्स के क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एएनआरएफ-पीएआईआर (पार्टनरशिप्स फॉर एक्सेलरेटेड इनोवेशन एंड रिसर्च) अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अनुदान अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन (ANRF) द्वारा प्रदान किए जाने वाले ₹100 करोड़ के प्रतिष्ठित अनुदानों में से एक है। देशभर से केवल सात विशिष्ट संस्थानों को यह अनुदान मिला है, जिनमें IIT इंदौर शामिल है। IIT इंदौर ‘SAKSHAM’ नेटवर्क का हब संस्थान इस पहल के अंतर्गत IIT इंदौर एक नए लॉन्च किए गए सहयोगी अनुसंधान नेटवर्क के हब संस्थान के रूप में कार्य करेगा, जिसका नाम 'SAKSHAM' (साइंटिफिक एडवांसमेंट इन नॉलेज फॉर सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर एंड मटेरियल्स) है। यह नेटवर्क ‘हब एंड स्पोक’ फ्रेमवर्क पर आधारित है, जिसमें IIT इंदौर के साथ 6 साझेदार संस्थान जुड़े हैं: IIT इंदौर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सक्षम नेटवर्क सात संस्थानों के 56 विभागों और 165 संकाय सदस्यों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप अंतःविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक साझा मंच प्रदान करेगा। यह नेटवर्क तीन प्रमुख विषयों पर केंद्रित होगा: सस्टेनेबिलिटी, हेल्थकेयर और मटेरियल्स। शोध क्षमता में असमानता को कम करना उद्देश्य प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शुरू की गई और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप तैयार की गई ANRF-PAIR पहल का उद्देश्य भारत में शोध क्षमता में असमानताओं को कम करना है। मेंटरशिप आधारित साझेदारी को बढ़ावा देकर यह पहल उभरते हुए शोध संस्थानों को शीर्ष स्तरीय केंद्रों के साथ सहयोग करने का अवसर देती है। इसका उद्देश्य क्षमता निर्माण, संसाधनों की साझेदारी, अनुसंधान प्रशिक्षण, और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से एक स्थायी अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। वैश्विक समस्याओं का समाधान देने की आकांक्षा IIT इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा, “यह अनुदान अंतःविषय अनुसंधान को आगे बढ़ाने और परिवर्तनकारी शैक्षणिक साझेदारी बनाने के प्रति IIT इंदौर की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सक्षम नेटवर्क के माध्यम से हम एक सहयोगी, समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना चाहते हैं, जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करे।