इंदौर के पतंग बाजार में चाइना डोर पर प्रतिबंध:कलकत्ता, हैदराबाद और गुजरात से आता है पतंग का कागज; 9 महीने तक लगातार चलता है काम

Kite Market of Indore

इंदौर के पतंग बाजार में चाइना डोर पर प्रतिबंध:कलकत्ता, हैदराबाद और गुजरात से आता है पतंग का कागज; 9 महीने तक लगातार चलता है काम

इंदौर में मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में रौनक दिखने लगी है। पतंग बजार मेवाती मोहल्ला पूरी तरह सजाधजा नजर आया। पुलिस- प्रशासन की चाइना डोर पर प्रतिबंध होने से इस साल युवाओं की रौनक कम नजर आ रही हैं। व्यापारियों को 11-12 जनवरी से बाजार में रौनक लौटने की उम्मीद हैं। मकर संक्रांति पर घरों की छतों से लेकर मैदानों तक पतंग उड़ाने वाले बच्चे, युवा, नौजवान, बुजुर्ग तक नजर आते हैं। व्यापारी आरिफ हुसैन और सलमा बी के अनुसार पतंग बनाने का त्रिवेणी कागज, कलकत्ता, हैदराबाद, अहमदाबाद, आगरा से इंदौर बुलाया जाता हैं। ये कागज (ताव) आम कागज से मजबूत होता है। पतंग की कमान और कागज उत्तर प्रदेश के तुलसीपुर और कलकत्ता से आते हैं। फिर घर-घर में पतंग का बनाई जाती हैं। एक पतंग को बनाने में देश के बहुत सारे हिस्सों का और बहुत सारे लोगों का योगदान होता हैं। पतंग 5 से 50 रुपए प्रति नग तक बिक रही हैं। मांजा दिल्ली, पंजाब और गिट्टे जयपुर, बरेली से बनकर आते हैं। फेमस कागज की रामपुरी पतंग उत्तर प्रदेश के रामपुर से बनकर आती है। काइट मार्केट में चाइना डोर पर सख्ती हर बार की तरह इस बार भी मार्केट में चाइना डोर पर सख्ती नजर आई। बाजार में 30 से ज्यादा दुकानों पर जगह-जगह पुलिस ने चाइना डोर प्रतिबंधित है...बेचने-खरीदने की सूचना दे... लिखे बोर्ड टांग रखें। ये दिल्ली से बनकर आती है। ये डोर न बिके इसको लेकर लगातार पुलिस की गश्त होती है। पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई हैं, जो समय-समय पर बदलती रहती हैं। 16 जनवरी के बाद 3 महीने छुट्टी व्यापारी सलमा बी ने बताया 16 जनवरी के बाद पतंग व्यापारी और कारीगर फरवरी, मार्च, अप्रैल तक तीन महीने छुट्टी पर चले जाते हैं। फिर वापस से काम शुरू होता है। 9 महीने तक लगातार काम चलता रहता है और पतंगों का स्टॉक किया जाता हैं। व्यापारी खुद चाहते हैं कि चाइना डोर पूरी तरह बंद हो जाए, क्योंकि इसके कारण धाग कोई नहीं खरीदना चाहता है।