आदिवासी महिला ने सड़क किनारे दिया बेटी को जन्म:झांसी से टीकमगढ़ जाते समय बस में हुई प्रसव पीड़ा, रास्ते में उतरना पड़ा

निवाड़ी जिले में सोमवार सुबह करीब 11 बजे 17 वर्षीय आदिवासी महिला ने सड़क किनारे बच्ची को जन्म दिया। छोटी कुमारी नाम की यह महिला अपने पति सनी और चचेरी बहन चंदी बहेलिया के साथ फर्रुखाबाद से झांसी गई थी। वहां डॉक्टरों ने डिलीवरी से पहले अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण से अल्ट्रासाउंड नहीं करा पाने के बाद वे केजीएन बस में टीकमगढ़ के लिए निकल गए। ओरछा के सातार स्मारक के पास पहुंचते ही छोटी कुमारी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। दर्द बढ़ने पर उन्हें बस से उतरना पड़ा। एमजी ढाबा और सातार स्मारक के बीच उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। स्थानीय लोगों और पुलिस ने इस मुश्किल समय में मदद की। निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत मौके पर एम्बुलेंस भेजी। मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। स्थानीय महिलाओं ने की मदद, 10 मिनट में पहुंची एंबुलेंस जब छोटी कुमारी प्रसव पीड़ा से जूझ रही थीं, तब कुछ स्थानीय महिलाएं, जिनमें कमला और अन्य लोग शामिल थे, तुरंत मदद के लिए आगे आईं। उन्होंने न केवल महिला को संबल दिया, बल्कि उसके सुरक्षित प्रसव में भी सहायता की। जैसे ही इस घटना की सूचना पुलिस को मिली, डायल 100 के सिपाही कुलदीप यादव और अनिल रजक मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति को देखते हुए तुरंत एम्बुलेंस को सूचित किया। घटना का पता चलते ही कलेक्टर लोकेश कुमार ने तत्काल एम्बुलेंस को सूचना दी, इसके बाद महज 10 मिनट के भीतर एम्बुलेंस मौके पर पहुंच गई और जच्चा-बच्चा दोनों को सुरक्षित ओरछा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। पति बोला- झांसी में अल्ट्रासाउंड नहीं कराया तो डॉक्टर ने डिलीवरी करने से मना कर दिया था छोटी कुमारी के पति और परिजनों ने बताया कि झांसी में डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड करने का कहा। हमने मना किया तो उन्होंने डिलीवरी करने से मना कर दिया। ऐसे में हम वापस टीकमगढ़ लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उन्हें बस से उतरना पड़ा। बहरहाल, यह सवाल खड़ा करता है कि क्या झांसी में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध थीं? अगर हां, तो एक गर्भवती महिला को वापस लौटने पर क्यों मजबूर किया गया? छोटी कुमारी जैसी कई महिलाएं हैं जो आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण जरूरी मेडिकल केयर से वंचित रह जाती हैं, अगर झांसी में डॉक्टरों ने सही समय पर मदद की होती तो शायद इस जोखिम भरी स्थिति से बचा जा सकता था।

आदिवासी महिला ने सड़क किनारे दिया बेटी को जन्म:झांसी से टीकमगढ़ जाते समय बस में हुई प्रसव पीड़ा, रास्ते में उतरना पड़ा
निवाड़ी जिले में सोमवार सुबह करीब 11 बजे 17 वर्षीय आदिवासी महिला ने सड़क किनारे बच्ची को जन्म दिया। छोटी कुमारी नाम की यह महिला अपने पति सनी और चचेरी बहन चंदी बहेलिया के साथ फर्रुखाबाद से झांसी गई थी। वहां डॉक्टरों ने डिलीवरी से पहले अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण से अल्ट्रासाउंड नहीं करा पाने के बाद वे केजीएन बस में टीकमगढ़ के लिए निकल गए। ओरछा के सातार स्मारक के पास पहुंचते ही छोटी कुमारी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। दर्द बढ़ने पर उन्हें बस से उतरना पड़ा। एमजी ढाबा और सातार स्मारक के बीच उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। स्थानीय लोगों और पुलिस ने इस मुश्किल समय में मदद की। निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत मौके पर एम्बुलेंस भेजी। मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। स्थानीय महिलाओं ने की मदद, 10 मिनट में पहुंची एंबुलेंस जब छोटी कुमारी प्रसव पीड़ा से जूझ रही थीं, तब कुछ स्थानीय महिलाएं, जिनमें कमला और अन्य लोग शामिल थे, तुरंत मदद के लिए आगे आईं। उन्होंने न केवल महिला को संबल दिया, बल्कि उसके सुरक्षित प्रसव में भी सहायता की। जैसे ही इस घटना की सूचना पुलिस को मिली, डायल 100 के सिपाही कुलदीप यादव और अनिल रजक मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति को देखते हुए तुरंत एम्बुलेंस को सूचित किया। घटना का पता चलते ही कलेक्टर लोकेश कुमार ने तत्काल एम्बुलेंस को सूचना दी, इसके बाद महज 10 मिनट के भीतर एम्बुलेंस मौके पर पहुंच गई और जच्चा-बच्चा दोनों को सुरक्षित ओरछा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। पति बोला- झांसी में अल्ट्रासाउंड नहीं कराया तो डॉक्टर ने डिलीवरी करने से मना कर दिया था छोटी कुमारी के पति और परिजनों ने बताया कि झांसी में डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड करने का कहा। हमने मना किया तो उन्होंने डिलीवरी करने से मना कर दिया। ऐसे में हम वापस टीकमगढ़ लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उन्हें बस से उतरना पड़ा। बहरहाल, यह सवाल खड़ा करता है कि क्या झांसी में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध थीं? अगर हां, तो एक गर्भवती महिला को वापस लौटने पर क्यों मजबूर किया गया? छोटी कुमारी जैसी कई महिलाएं हैं जो आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण जरूरी मेडिकल केयर से वंचित रह जाती हैं, अगर झांसी में डॉक्टरों ने सही समय पर मदद की होती तो शायद इस जोखिम भरी स्थिति से बचा जा सकता था।