चुनावों में जीत के बाद मार्क कार्नी ने कहा- अमेरिका से अपनी शर्तों पर समझौता करेगा कनाडा
चुनावों में जीत के बाद मार्क कार्नी ने कहा- अमेरिका से अपनी शर्तों पर समझौता करेगा कनाडा
-फै़सल इस्लाम
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का कहना है कि उनका देश अमेरिका से सम्मान का हक़दार है और अगर कनाडा-अमेरिका के बीच कोई व्यापार या सुरक्षा समझौता होगा, तो वह सिर्फ़ उनकी शर्तों पर ही होगा.
चुनाव में पार्टी की जीत के बाद बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कार्नी ने यह भी कहा कि कनाडा कभी भी अमेरिका का 51वां राज्य नहीं बनेगा.
जनवरी में बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर कार्नी ने कनाडा के अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब से वो और डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ़ के मुद्दे पर आमने-सामने हैं.
कार्नी का कहना है कि जब तक कनाडा की आज़ादी और संप्रभुता को लेकर गंभीर बातचीत नहीं होती, तब तक वे अमेरिका नहीं जाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ अच्छे व्यापारिक रिश्ते बना पाते हैं और अमेरिका के साथ भी कोई सौदा हो जाता है, तो इससे कनाडा को बड़ा फायदा हो सकता है.
कार्नी ने आगे कहा, हम उन देशों के साथ और बेहतर साझेदारी कर सकते हैं जो हमारी तरह सोचते हैं. आप रक्षा साझेदारियों के बारे में सोचिए. इन पर बातचीत अभी बस शुरू हुई है, और इस दिशा में बहुत कुछ किया जा सकता है.(bbc.com/hindi)
-फै़सल इस्लाम
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का कहना है कि उनका देश अमेरिका से सम्मान का हक़दार है और अगर कनाडा-अमेरिका के बीच कोई व्यापार या सुरक्षा समझौता होगा, तो वह सिर्फ़ उनकी शर्तों पर ही होगा.
चुनाव में पार्टी की जीत के बाद बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कार्नी ने यह भी कहा कि कनाडा कभी भी अमेरिका का 51वां राज्य नहीं बनेगा.
जनवरी में बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर कार्नी ने कनाडा के अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभाला था, तब से वो और डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ़ के मुद्दे पर आमने-सामने हैं.
कार्नी का कहना है कि जब तक कनाडा की आज़ादी और संप्रभुता को लेकर गंभीर बातचीत नहीं होती, तब तक वे अमेरिका नहीं जाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ अच्छे व्यापारिक रिश्ते बना पाते हैं और अमेरिका के साथ भी कोई सौदा हो जाता है, तो इससे कनाडा को बड़ा फायदा हो सकता है.
कार्नी ने आगे कहा, हम उन देशों के साथ और बेहतर साझेदारी कर सकते हैं जो हमारी तरह सोचते हैं. आप रक्षा साझेदारियों के बारे में सोचिए. इन पर बातचीत अभी बस शुरू हुई है, और इस दिशा में बहुत कुछ किया जा सकता है.(bbc.com/hindi)