लंबित वेतन और मानव संसाधन नीति लागू करने की मांग
छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोंडागांव, 27 मार्च। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने आज कोण्डागांव के डीएनके मैदान में एक बड़ा धरना प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार से कई अहम मांगें की। महासंघ ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को पत्र लिखकर मनरेगा कर्मियों के लिए तत्काल मानव संसाधन नीति लागू करने, साथ ही 2022 की हड़ताल अवधि (72 दिन) और पिछले पांच महीनों के लंबित मानदेय का भुगतान करने की मांग की है।
महासंघ का कहना है कि सरकार ने 2022 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक सामाजिक सुरक्षा और सेवा सुरक्षा के लिए एक मानव संसाधन नीति लागू करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद यह नीति लागू नहीं की गई है, जिससे कर्मियों में गहरी निराशा और असंतोष का माहौल बन गया है।
महासंघ के प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वे लंबे समय से अपने वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। खासकर 2022 में हुई 72 दिन की हड़ताल के दौरान उनके काम की एवज में कोई मानदेय नहीं दिया गया, इसके अलावा पिछले पांच महीनों से भी उन्हें उनका नियत मानदेय नहीं मिला है। इस वजह से उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
कर्मियों का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया और मानव संसाधन नीति लागू नहीं की गई, तो वे और अधिक कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे। महासंघ ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो वे राज्यभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कर्मियों का कहना है कि मनरेगा जैसे अहम कार्यक्रम में उनके योगदान को नजरअंदाज करना, न केवल उनके साथ अन्याय है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में भी रुकावट डालता है। महासंघ ने सरकार से मांग की है कि शीघ्रता से इन लंबित मुद्दों का समाधान किया जाए, ताकि मनरेगा कर्मियों को उनके अधिकार मिल सकें और ग्रामीण विकास कार्यों में कोई विघ्न न आए।
इस आंदोलन के साथ ही महासंघ ने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि भविष्य में ऐसे मुद्दों पर उचित समय पर कार्रवाई की जाए, ताकि इस प्रकार के संघर्षों से बचा जा सके और कार्यस्थल पर माहौल बेहतर हो सके।
लंबित वेतन और मानव संसाधन नीति लागू करने की मांग
छत्तीसगढ़ संवाददाता
कोंडागांव, 27 मार्च। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने आज कोण्डागांव के डीएनके मैदान में एक बड़ा धरना प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार से कई अहम मांगें की। महासंघ ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को पत्र लिखकर मनरेगा कर्मियों के लिए तत्काल मानव संसाधन नीति लागू करने, साथ ही 2022 की हड़ताल अवधि (72 दिन) और पिछले पांच महीनों के लंबित मानदेय का भुगतान करने की मांग की है।
महासंघ का कहना है कि सरकार ने 2022 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक सामाजिक सुरक्षा और सेवा सुरक्षा के लिए एक मानव संसाधन नीति लागू करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद यह नीति लागू नहीं की गई है, जिससे कर्मियों में गहरी निराशा और असंतोष का माहौल बन गया है।
महासंघ के प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वे लंबे समय से अपने वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। खासकर 2022 में हुई 72 दिन की हड़ताल के दौरान उनके काम की एवज में कोई मानदेय नहीं दिया गया, इसके अलावा पिछले पांच महीनों से भी उन्हें उनका नियत मानदेय नहीं मिला है। इस वजह से उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
कर्मियों का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया और मानव संसाधन नीति लागू नहीं की गई, तो वे और अधिक कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे। महासंघ ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों का समाधान नहीं हुआ, तो वे राज्यभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कर्मियों का कहना है कि मनरेगा जैसे अहम कार्यक्रम में उनके योगदान को नजरअंदाज करना, न केवल उनके साथ अन्याय है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में भी रुकावट डालता है। महासंघ ने सरकार से मांग की है कि शीघ्रता से इन लंबित मुद्दों का समाधान किया जाए, ताकि मनरेगा कर्मियों को उनके अधिकार मिल सकें और ग्रामीण विकास कार्यों में कोई विघ्न न आए।
इस आंदोलन के साथ ही महासंघ ने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि भविष्य में ऐसे मुद्दों पर उचित समय पर कार्रवाई की जाए, ताकि इस प्रकार के संघर्षों से बचा जा सके और कार्यस्थल पर माहौल बेहतर हो सके।