लॉस एंजेलिस में प्रदर्शन और हिंसा कैसे शुरू हुई, गवर्नर ने ट्रंप पर ही कर दिया मुक़दमा

लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन छापों को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद काफ़ी संख्या में लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. यह छापेमारी ट्रंप की निर्वासन नीति का हिस्सा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शहर में 2,100 नेशनल गार्ड के साथ 700 मरीन सैनिक भी तैनात कर दिए हैं. इसके कारण राजनीतिक विवाद भी पैदा हो गया. उन्होंने हिंसक और विद्रोही भीड़ की भी निंदा की है. अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर लॉस एंजेलिस के प्रभावित इलाक़ों में कई वाहनों में आग लगाए जाने की जानकारी सामने आई है और कई जगहों पर लूटपाट की भी ख़बर है. सैन फ्रांसिस्को में भी छापेमारी के ख़िलाफ़ रविवार को प्रदर्शन हुए. इस प्रदर्शन में शामिल 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर छोड़ दिया गया. व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार 2,100 नेशनल गार्ड सैनिकों को लॉस एंजेलिस में तैनात किया गया है. इसके अलावा अमेरिकी सेना ने पुष्टि की है कि वह लॉस एंजेलिस में 700 मरीन को सक्रिय कर रही है. अमेरिकी सेना के एक बयान में कहा गया है, मरीन की सक्रियता का उद्देश्य टास्क फोर्स 51 को पर्याप्त संख्या में बल उपलब्ध कराना है, ​जिससे प्रमुख संघीय एजेंसी के समर्थन में क्षेत्र की निरंतर कवरेज की जा सके. इससे पहले रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने शनिवार को कहा कि अगर लॉस एंजेलिस में हिंसा जारी रहती है तो पेंटागन सक्रिय सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है और क़रीबी कैंप पेंडलटन में मरीन को हाई अलर्ट पर रखा गया है. साल 1992 के मई में हुए दंगों के दौरान लगभग 1500 मरीन सैनिकों को लॉस एंजेलिस में तैनात किया गया था. उस समय के राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने मरीन सैनिकों की तैनाती के लिए विद्रोह अधिनियम का इस्तेमाल किया था. यह क़ानून राष्ट्रपति को घरेलू स्तर पर नागरिक प्राधिकारियों की सहायता के लिए अमेरिकी सैन्य कर्मियों का उपयोग करने की शक्ति देता है. यह क़ानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 355 के निकट है. इसमें आंतरिक अशांति से बचाने के लिए भारतीय सेना या फिर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जा सकती है. कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन नूज़म ने कहा है कि यह एक अत्यधिक गंभीर मामला है. इस छापेमारी के विरोध में वहां प्रदर्शन शुरू हुए जो कि 8 जून 2025 को हिंसक झड़प में बदल गए. लॉस एंजेलिस काउंटी शेरिफ़ विभाग (एलएएसडी) ने बीबीसी को बताया है कि शुक्रवार से लॉस एंजेलिस में फैली अशांति के दौरान हिंसा देखी गई. इसके अलावा आतिशबाज़ी हुई और बोतलें तक फेंकी गई. एक कार को जला दिया गया. इस दौरान अप्रवासन विभाग ने गई ​अवैध प्रवासियों को हिरासत में ले लिया. इस घटनाक्रम के बाद लॉस एंजेलिस में स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण है. कई दिनों की हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. लॉस एंजेलिस में शुक्रवार को प्रदर्शन उस समय शुरू हुआ जब यह पता चला कि आव्रजन सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के अधिकारी शहर के उन क्षेत्रों में छापेमारी कर रहे हैं जहां लैटिनो आबादी अधिक है. बीबीसी के अमेरिकी सहयोगी सीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार यह कार्रवाई वेस्टलेक के साथ साथ लॉस एंजेलिस के दक्षिण में स्थिति पैरामाउंट में भी गई. यहां की 82 प्रतिशत से अधिक आबादी हिस्पैनिक (मध्य और दक्षिण अमेरिकी देशों के लोग) है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में इमिग्रेशन मामलों में छापे बढ़ गए हैं, इसमें पिछले महीने संघीय एजेंटों को प्रतिदिन तीन हज़ार लोगों को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया था. हाल ही में की गई छापेमारी अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभियान चलाने के राष्ट्रपति के लक्ष्य का हिस्सा है. आईसीई ने सीबीएस को बताया कि शुक्रवार को एक कार्रवाई में एक जॉब साइट से 44 अनाधिकृत प्रवासियों को गिरफ़्तार किया गया. इसी दिन ग्रेटर लॉस एं​जेलिस क्षेत्र में 77 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया. इन छापों के बाद लॉस एंजेलिस स्थित फेडरल बिल्डिंग विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गई क्योंकि यह बात फैल गई कि वहां कथित तौर पर गिरफ़्तार लोगों को रखा गया है. सीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद इमारत को नुक़सान पहुंचाने के लिए दीवारों पर पेंटिंग बनाई गई और पुलिस पर चीज़ें फेंकी गईं. इसके कारण इस प्रदर्शन को ग़ैरक़ानूनी घोषित कर दिया गया. नेशनल गार्ड क्या है और ट्रंप ने इसे क्यों तैनात किया? लॉस एंजेलिस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2,100 नेशनल गार्ड तैनात किए हैं. इसके साथ राज्य के नेताओं के साथ उनका विवाद भी शुरू हो गया है. व्हाइट हाउस ने कहा है कि हिंसक विरोध प्रदर्शनों से संघीय आव्रजन हिरासत केन्द्रों और अन्य संघीय संपत्ति की सुरक्षा को ख़तरा है और उन्हें नुक़सान हो सकता है. बयान में कहा गया है कि ऐसे विरोध प्रदर्शन जो, क़ानूनी कार्रवाई को सीधे बाधित करते हैं, अमेरिकी सरकार के अधिकारों के ख़िलाफ़ विद्रोह का एक रूप हैं. ऐसे में इस​ स्थिति से निपटने के​ लिए नेशनल गार्ड की आवश्यकता है. नेशनल गार्ड अमेरिका की एक ऐसी सुरक्षा इकाई है जो राज्य और केंद्र दोनों के लिए समान रूप से काम करती है. आमतौर पर इसकी तैनाती के लिए संबंधित राज्य का गवर्नर अनुरोध करता है. सामान्य स्थिति में यह गवर्नर के अधीन होते हैं लेकिन आपात स्थिति में यह राष्ट्रपति के आदेश पर कार्य करते हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने संघीय क़ानून का हवाला देते हुए बिना गवर्नर के अनुरोध के ही इसे तैनात कर दिया है. इसके पीछे तर्क दिया है कि ये विरोध प्रदर्शन अमेरिका की सरकार के अधिकार के ख़िलाफ़ हो रहे विद्रोह का एक रूप है. बताया जाता है कि 1965 के बाद पहली बार है जब राज्य के गवर्नर के अनुरोध के बिना नेशनल गार्ड को किसी राज्य में तैनात किया गया है. भारत में भी सेना या अर्धसैनिक बलों की तैनाती संबंधित राज्य सरकारों के अनुरोध पर ही की जाती है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है. इसमें राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य में

लॉस एंजेलिस में प्रदर्शन और हिंसा कैसे शुरू हुई, गवर्नर ने ट्रंप पर ही कर दिया मुक़दमा
लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन छापों को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद काफ़ी संख्या में लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. यह छापेमारी ट्रंप की निर्वासन नीति का हिस्सा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शहर में 2,100 नेशनल गार्ड के साथ 700 मरीन सैनिक भी तैनात कर दिए हैं. इसके कारण राजनीतिक विवाद भी पैदा हो गया. उन्होंने हिंसक और विद्रोही भीड़ की भी निंदा की है. अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर लॉस एंजेलिस के प्रभावित इलाक़ों में कई वाहनों में आग लगाए जाने की जानकारी सामने आई है और कई जगहों पर लूटपाट की भी ख़बर है. सैन फ्रांसिस्को में भी छापेमारी के ख़िलाफ़ रविवार को प्रदर्शन हुए. इस प्रदर्शन में शामिल 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर छोड़ दिया गया. व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार 2,100 नेशनल गार्ड सैनिकों को लॉस एंजेलिस में तैनात किया गया है. इसके अलावा अमेरिकी सेना ने पुष्टि की है कि वह लॉस एंजेलिस में 700 मरीन को सक्रिय कर रही है. अमेरिकी सेना के एक बयान में कहा गया है, मरीन की सक्रियता का उद्देश्य टास्क फोर्स 51 को पर्याप्त संख्या में बल उपलब्ध कराना है, ​जिससे प्रमुख संघीय एजेंसी के समर्थन में क्षेत्र की निरंतर कवरेज की जा सके. इससे पहले रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने शनिवार को कहा कि अगर लॉस एंजेलिस में हिंसा जारी रहती है तो पेंटागन सक्रिय सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है और क़रीबी कैंप पेंडलटन में मरीन को हाई अलर्ट पर रखा गया है. साल 1992 के मई में हुए दंगों के दौरान लगभग 1500 मरीन सैनिकों को लॉस एंजेलिस में तैनात किया गया था. उस समय के राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने मरीन सैनिकों की तैनाती के लिए विद्रोह अधिनियम का इस्तेमाल किया था. यह क़ानून राष्ट्रपति को घरेलू स्तर पर नागरिक प्राधिकारियों की सहायता के लिए अमेरिकी सैन्य कर्मियों का उपयोग करने की शक्ति देता है. यह क़ानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 355 के निकट है. इसमें आंतरिक अशांति से बचाने के लिए भारतीय सेना या फिर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जा सकती है. कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन नूज़म ने कहा है कि यह एक अत्यधिक गंभीर मामला है. इस छापेमारी के विरोध में वहां प्रदर्शन शुरू हुए जो कि 8 जून 2025 को हिंसक झड़प में बदल गए. लॉस एंजेलिस काउंटी शेरिफ़ विभाग (एलएएसडी) ने बीबीसी को बताया है कि शुक्रवार से लॉस एंजेलिस में फैली अशांति के दौरान हिंसा देखी गई. इसके अलावा आतिशबाज़ी हुई और बोतलें तक फेंकी गई. एक कार को जला दिया गया. इस दौरान अप्रवासन विभाग ने गई ​अवैध प्रवासियों को हिरासत में ले लिया. इस घटनाक्रम के बाद लॉस एंजेलिस में स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण है. कई दिनों की हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. लॉस एंजेलिस में शुक्रवार को प्रदर्शन उस समय शुरू हुआ जब यह पता चला कि आव्रजन सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के अधिकारी शहर के उन क्षेत्रों में छापेमारी कर रहे हैं जहां लैटिनो आबादी अधिक है. बीबीसी के अमेरिकी सहयोगी सीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार यह कार्रवाई वेस्टलेक के साथ साथ लॉस एंजेलिस के दक्षिण में स्थिति पैरामाउंट में भी गई. यहां की 82 प्रतिशत से अधिक आबादी हिस्पैनिक (मध्य और दक्षिण अमेरिकी देशों के लोग) है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में इमिग्रेशन मामलों में छापे बढ़ गए हैं, इसमें पिछले महीने संघीय एजेंटों को प्रतिदिन तीन हज़ार लोगों को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया था. हाल ही में की गई छापेमारी अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभियान चलाने के राष्ट्रपति के लक्ष्य का हिस्सा है. आईसीई ने सीबीएस को बताया कि शुक्रवार को एक कार्रवाई में एक जॉब साइट से 44 अनाधिकृत प्रवासियों को गिरफ़्तार किया गया. इसी दिन ग्रेटर लॉस एं​जेलिस क्षेत्र में 77 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया. इन छापों के बाद लॉस एंजेलिस स्थित फेडरल बिल्डिंग विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गई क्योंकि यह बात फैल गई कि वहां कथित तौर पर गिरफ़्तार लोगों को रखा गया है. सीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद इमारत को नुक़सान पहुंचाने के लिए दीवारों पर पेंटिंग बनाई गई और पुलिस पर चीज़ें फेंकी गईं. इसके कारण इस प्रदर्शन को ग़ैरक़ानूनी घोषित कर दिया गया. नेशनल गार्ड क्या है और ट्रंप ने इसे क्यों तैनात किया? लॉस एंजेलिस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2,100 नेशनल गार्ड तैनात किए हैं. इसके साथ राज्य के नेताओं के साथ उनका विवाद भी शुरू हो गया है. व्हाइट हाउस ने कहा है कि हिंसक विरोध प्रदर्शनों से संघीय आव्रजन हिरासत केन्द्रों और अन्य संघीय संपत्ति की सुरक्षा को ख़तरा है और उन्हें नुक़सान हो सकता है. बयान में कहा गया है कि ऐसे विरोध प्रदर्शन जो, क़ानूनी कार्रवाई को सीधे बाधित करते हैं, अमेरिकी सरकार के अधिकारों के ख़िलाफ़ विद्रोह का एक रूप हैं. ऐसे में इस​ स्थिति से निपटने के​ लिए नेशनल गार्ड की आवश्यकता है. नेशनल गार्ड अमेरिका की एक ऐसी सुरक्षा इकाई है जो राज्य और केंद्र दोनों के लिए समान रूप से काम करती है. आमतौर पर इसकी तैनाती के लिए संबंधित राज्य का गवर्नर अनुरोध करता है. सामान्य स्थिति में यह गवर्नर के अधीन होते हैं लेकिन आपात स्थिति में यह राष्ट्रपति के आदेश पर कार्य करते हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने संघीय क़ानून का हवाला देते हुए बिना गवर्नर के अनुरोध के ही इसे तैनात कर दिया है. इसके पीछे तर्क दिया है कि ये विरोध प्रदर्शन अमेरिका की सरकार के अधिकार के ख़िलाफ़ हो रहे विद्रोह का एक रूप है. बताया जाता है कि 1965 के बाद पहली बार है जब राज्य के गवर्नर के अनुरोध के बिना नेशनल गार्ड को किसी राज्य में तैनात किया गया है. भारत में भी सेना या अर्धसैनिक बलों की तैनाती संबंधित राज्य सरकारों के अनुरोध पर ही की जाती है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है. इसमें राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य में संवैधानिक तंत्र विफलता (अनुच्छेद 356) और आक्रमण और आंतरिक अशांति (अनुच्छेद 355) की स्थिति शामिल है. डोनाल्ड ट्रंप पर मुक़दमा कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन नूज़म ने ट्रंप प्रशासन के ख़िलाफ़ मुक़दमा कर दिया है. इस मुक़दमे में उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 10वें संशोधन के तहत राज्य सरकार के अधिकार का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है. इससे पहले लॉस एंजेलिस के मेयर करेन बास ने एक्स पोस्ट में प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का आह्वान किया है ताकि वे ट्रंप प्रशासन के जाल में न फंसें. शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करें. लूटपाट और बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. नेशनल गार्ड की तैनाती को लेकर भी कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन नूज़म और एलए मेयर करेन बास ने इस कदम की निंदा की थी और कहा था कि उनका मानना ​​है कि स्थानीय पुलिस स्थिति को संभाल सकती है. कैलिफ़ोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोन्टा ने दावा किया है, यह तैनाती संघीय सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और 10वें संशोधन का उल्लंघन करती है. मुक़दमे को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, आप वही क्लिप देखें जो मैंने देखी. कारें जल रही थीं, लोग दंगा कर रहे थे, हमने इसे रोका. अगर हम काम नहीं करते, तो वह स्थान भी घरों की तरह जल जाता.(bbc.com/hindi)