शाम होते ही हाथीदल खेतों में, रात भर फसल को रौंदते-खाते हैं, अल सुबह जंगल चले जाते हैं
शाम होते ही हाथीदल खेतों में, रात भर फसल को रौंदते-खाते हैं, अल सुबह जंगल चले जाते हैं
किसानों का कहना है- 50 से 72 हजार रुपए प्रति एकड़ का नुकसान उठाना पड़ता है, सरकार मुआवजा दें
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 4 नवंबर। बसना क्षेत्र के वनांचल ग्राम बड़े सजापाली क्षेत्र में एक वर्ष से दो दर्जन से अधिक हाथी खेत में लगे धान की फसलों को रौंदकर लाखों रुपए का नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस क्षेत्र में ऐसा हर साल होता है। पिछले साल का मुआवजा किसानों को वन विभाग ने अभी तक मुहैया नहीं कराई है। अत: किसानों में शासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
मालूम हो कि पिछले कई दिनों से बड़ेसाजापाली के पास हरदी जंगल में हाथियों का बसेरा है। दिन भर जंगल में रहने के बाद जैसे ही सूरज ढलता है, हाथियों का झुंड रिहायशी इलाकों एवं खेतों में धान की फसलों को रौंद कर खाते हैं और रात भर नुकसान फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इस साल वन विभाग द्वारा 28 हाथियों के विचरण करने की पुष्टि की गई है।
किसानों के मुताबिक जैसे ही सबेरा होने लगता है, हाथियों का दल जंगल में फिर से जाकर आराम फरमानें लगता है। यह क्रम विगत कई दिनों से चल रही है। यदि सरकारी मुआवजे की बात करें तो प्रति एकड़ 9 हजार रुपए का प्रावधान है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। किसानों का कहना है कि फसल क्षति का सही ढंग से आंकलन कर उचित मुआवजा राशि प्रदान की जाये।
किसानों का यह भी कहना है कि इस क्षेत्र में प्रति एकड़ धान का उत्पादन 20 क्विंटल से 28 क्विंटल तक होता है। यदि शासन द्वारा मिलने वाले बोनस एवं समर्थन मूल्य 3100 रुपए के हिसाब से प्रति क्विंटल धान का मूल्य निकाला जाए तो किसानों को 50 से 72 हजार रुपए प्रति एकड़ का नुकसान उठाना पड़ता है।
ग्रामीणों व कृषकों की मांग है कि वन विभाग हाथियों के दल को हल्दी जंगल से अन्यत्र जंगल में ले जाएं। जिससे बड़े सजापाली क्षेत्र के किसानों को राहत मिलेगी या फिर प्रति एकड़ 60 हजार से 82 हजार रुपए तक प्रति एकड़ मुआवजा राशि प्रदान करें।
किसानों का कहना है- 50 से 72 हजार रुपए प्रति एकड़ का नुकसान उठाना पड़ता है, सरकार मुआवजा दें
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद, 4 नवंबर। बसना क्षेत्र के वनांचल ग्राम बड़े सजापाली क्षेत्र में एक वर्ष से दो दर्जन से अधिक हाथी खेत में लगे धान की फसलों को रौंदकर लाखों रुपए का नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस क्षेत्र में ऐसा हर साल होता है। पिछले साल का मुआवजा किसानों को वन विभाग ने अभी तक मुहैया नहीं कराई है। अत: किसानों में शासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
मालूम हो कि पिछले कई दिनों से बड़ेसाजापाली के पास हरदी जंगल में हाथियों का बसेरा है। दिन भर जंगल में रहने के बाद जैसे ही सूरज ढलता है, हाथियों का झुंड रिहायशी इलाकों एवं खेतों में धान की फसलों को रौंद कर खाते हैं और रात भर नुकसान फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इस साल वन विभाग द्वारा 28 हाथियों के विचरण करने की पुष्टि की गई है।
किसानों के मुताबिक जैसे ही सबेरा होने लगता है, हाथियों का दल जंगल में फिर से जाकर आराम फरमानें लगता है। यह क्रम विगत कई दिनों से चल रही है। यदि सरकारी मुआवजे की बात करें तो प्रति एकड़ 9 हजार रुपए का प्रावधान है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। किसानों का कहना है कि फसल क्षति का सही ढंग से आंकलन कर उचित मुआवजा राशि प्रदान की जाये।
किसानों का यह भी कहना है कि इस क्षेत्र में प्रति एकड़ धान का उत्पादन 20 क्विंटल से 28 क्विंटल तक होता है। यदि शासन द्वारा मिलने वाले बोनस एवं समर्थन मूल्य 3100 रुपए के हिसाब से प्रति क्विंटल धान का मूल्य निकाला जाए तो किसानों को 50 से 72 हजार रुपए प्रति एकड़ का नुकसान उठाना पड़ता है।
ग्रामीणों व कृषकों की मांग है कि वन विभाग हाथियों के दल को हल्दी जंगल से अन्यत्र जंगल में ले जाएं। जिससे बड़े सजापाली क्षेत्र के किसानों को राहत मिलेगी या फिर प्रति एकड़ 60 हजार से 82 हजार रुपए तक प्रति एकड़ मुआवजा राशि प्रदान करें।