छत्तीसगढ़ संवाददाता
दुर्ग, 3 जून। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में श्रीमद् भागवत गीता के आध्यात्मिक रहस्य को सरल ढंग से स्पष्ट करने वाली प्रखर वक्ता ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी (कर्नाटक) का एक दिवसीय व्याख्यान हुआ।
रायपुर में होने वाले तीन दिवसीय गीता ज्ञान महोत्सव के अंतर्गत एक दिवसीय प्रवास पर दुर्ग आगमन हुआ। अब तक श्रीमद् भगवत गीता के आध्यात्मिक रहस्य पर 500 से अधिक प्रेरणादाई उद्बोधन दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही 140 से अधिक देशों में प्रसारित होने वाले ब्रह्माकुमारीज के पीस ऑफ माइंड चैनल पर 360 धारावाहिकों का प्रसारण किया जा चुका है। इसके अलावा गीता ज्ञान और तनाव मुक्त जीवन, स्ट्रेस मैनेजमेंट, गीता रहस्य और खुशहाल जीवन जैसे जीवनोपयोगी जैसे विषयों पर देश के विभिन्न स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में समय-समय पर आपके व्यख्यान आयोजित होते रहते हैं।
व्याख्यान में वीणा दीदी ने बताया आप कितना भी ऊंचा ज्ञान सुना दीजिए, लेकिन अगर व्यवहार आपका ठीक नहीं है तो कोई भी आपकी ज्ञान से प्रभावित नहीं होगा। अंदर अगर कड़वापन है तो झलकता क्या है ? ज्यादा देर तक आप अपनी वाणी का प्रभाव नहीं डाल सकते अंदर भाव जो है न वह अपने आप बाहर आ जाता है इसलिए हमें अटेंशन रखना अपने भाव पर स्वभाव पर स्व की भावनाओं पर जो आत्मा का ओरिजिनल स्वभाव है स्वधर्म है (पवित्रता, सुख, शांति,आनंद, प्रेम) उसे जागृत करना है।
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दुर्ग, 3 जून। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में श्रीमद् भागवत गीता के आध्यात्मिक रहस्य को सरल ढंग से स्पष्ट करने वाली प्रखर वक्ता ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी (कर्नाटक) का एक दिवसीय व्याख्यान हुआ।
रायपुर में होने वाले तीन दिवसीय गीता ज्ञान महोत्सव के अंतर्गत एक दिवसीय प्रवास पर दुर्ग आगमन हुआ। अब तक श्रीमद् भगवत गीता के आध्यात्मिक रहस्य पर 500 से अधिक प्रेरणादाई उद्बोधन दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही 140 से अधिक देशों में प्रसारित होने वाले ब्रह्माकुमारीज के पीस ऑफ माइंड चैनल पर 360 धारावाहिकों का प्रसारण किया जा चुका है। इसके अलावा गीता ज्ञान और तनाव मुक्त जीवन, स्ट्रेस मैनेजमेंट, गीता रहस्य और खुशहाल जीवन जैसे जीवनोपयोगी जैसे विषयों पर देश के विभिन्न स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में समय-समय पर आपके व्यख्यान आयोजित होते रहते हैं।
व्याख्यान में वीणा दीदी ने बताया आप कितना भी ऊंचा ज्ञान सुना दीजिए, लेकिन अगर व्यवहार आपका ठीक नहीं है तो कोई भी आपकी ज्ञान से प्रभावित नहीं होगा। अंदर अगर कड़वापन है तो झलकता क्या है ? ज्यादा देर तक आप अपनी वाणी का प्रभाव नहीं डाल सकते अंदर भाव जो है न वह अपने आप बाहर आ जाता है इसलिए हमें अटेंशन रखना अपने भाव पर स्वभाव पर स्व की भावनाओं पर जो आत्मा का ओरिजिनल स्वभाव है स्वधर्म है (पवित्रता, सुख, शांति,आनंद, प्रेम) उसे जागृत करना है।