कलबोड़ी में जगमगा रहे अखंड मनोकामना ज्योति कलश:26 जिलों से आए श्रद्धालुओं ने की 463 कलशों की स्थापना, आज होगी विशेष पूजन

सिवनी जिले के ग्राम कलबोड़ी में नवरात्रि पर्व उत्साह एवं उल्लास से मनाया जा रहा है। जबलपुर-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-44 से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में 463 अखंड मनोकामना ज्योति कलशों की स्थापना की गई है। इस आयोजन में 26 जिलों के श्रद्धालु शामिल हुए हैं। सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, भोपाल, इंदौर, नागपुर से लेकर नेपाल तक के भक्त इस कार्यक्रम में सहभागी हैं। 5 अप्रैल को अष्टमी के अवसर पर हवन, पूजन और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। 6 अप्रैल को नवमी के दिन विशेष कार्यक्रम होंगे। दुर्गादासानंद बाबा अपने गुरुदेव ब्रह्म श्री रतनलाल दादाजी की प्रतिमा और मां ज्वाला देवी की पूजा करेंगे। वे बबूल के कांटे से बने आसन पर सवा घंटे का मौन आसन करेंगे। साथ ही 40 वर्षीय एक व्यक्ति खीले की चौरंग पर बैठकर ध्यान योग करेंगे। कार्यक्रम में कई विशेष आयोजन होंगे। इनमें नवजात बच्चों का मुंडन संस्कार, नौ प्रकार के योगासन का प्रदर्शन और जलते खप्पर का प्रदर्शन शामिल है। मां ज्वाला देवी को भोग के लिए गर्म तेल में पूरियां बनाई जाएंगी। बचा हुआ तेल रोगी और पीड़ित लोगों में वितरित किया जाएगा। कलशों की पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा मां ज्वाला देवी के दरबार से शुरू होकर, राम मंदिर होते हुए बजरंग दादा के दरबार तक जाएगी। वहां ज्वारे कलशों का विसर्जन होगा। अंत में कलश रखने वाली महिलाओं को सुहाग चिन्ह भेंट किए जाएंगे और संध्या आरती के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।

कलबोड़ी में जगमगा रहे अखंड मनोकामना ज्योति कलश:26 जिलों से आए श्रद्धालुओं ने की 463 कलशों की स्थापना, आज होगी विशेष पूजन
सिवनी जिले के ग्राम कलबोड़ी में नवरात्रि पर्व उत्साह एवं उल्लास से मनाया जा रहा है। जबलपुर-नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-44 से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में 463 अखंड मनोकामना ज्योति कलशों की स्थापना की गई है। इस आयोजन में 26 जिलों के श्रद्धालु शामिल हुए हैं। सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, भोपाल, इंदौर, नागपुर से लेकर नेपाल तक के भक्त इस कार्यक्रम में सहभागी हैं। 5 अप्रैल को अष्टमी के अवसर पर हवन, पूजन और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। 6 अप्रैल को नवमी के दिन विशेष कार्यक्रम होंगे। दुर्गादासानंद बाबा अपने गुरुदेव ब्रह्म श्री रतनलाल दादाजी की प्रतिमा और मां ज्वाला देवी की पूजा करेंगे। वे बबूल के कांटे से बने आसन पर सवा घंटे का मौन आसन करेंगे। साथ ही 40 वर्षीय एक व्यक्ति खीले की चौरंग पर बैठकर ध्यान योग करेंगे। कार्यक्रम में कई विशेष आयोजन होंगे। इनमें नवजात बच्चों का मुंडन संस्कार, नौ प्रकार के योगासन का प्रदर्शन और जलते खप्पर का प्रदर्शन शामिल है। मां ज्वाला देवी को भोग के लिए गर्म तेल में पूरियां बनाई जाएंगी। बचा हुआ तेल रोगी और पीड़ित लोगों में वितरित किया जाएगा। कलशों की पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा मां ज्वाला देवी के दरबार से शुरू होकर, राम मंदिर होते हुए बजरंग दादा के दरबार तक जाएगी। वहां ज्वारे कलशों का विसर्जन होगा। अंत में कलश रखने वाली महिलाओं को सुहाग चिन्ह भेंट किए जाएंगे और संध्या आरती के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।