बांग्लादेश: जमात-ए-इस्लामी के नेता अज़हर इस्लाम की मौत की सजा पलटी, रिहाई के आदेश

बांग्लादेश की एक अदालत ने जमात-ए-इस्लामी (बांग्लादेश) के नेता अज़हर इस्लाम को युद्ध अपराध के आरोप में दी गई मौत की सज़ा को पलट दिया है और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए है. 30 दिसंबर 2014 को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए अज़हर इस्लाम को मौत की सज़ा सुनाई थी. सात सदस्यीय की अपीलीय पीठ ने उनकी मौत की सज़ा को पलटने और रिहाई का आदेश दिए. इस पीठ की अध्यक्षता बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश डॉ. सैयद रिफ़त अहमद ने की. अदालत ने कहा है कि अगर अज़हर इस्लाम के ख़िलाफ़ कोई अन्य मामला नहीं है तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए. जब अज़हर इस्लाम ने सज़ा के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की थी, तो अपीलीय प्रभाग ने 31 अक्तूबर 2019 को न्यायाधिकरण की दी गई सज़ा को बरकरार रखा था. इसके बाद 19 जुलाई 2020 को, उन्होंने अपीलीय प्रभाग से संबंधित शाखा में एक पुनर्विचार याचिका दायर की. इस याचिका पर ही मंगलवार को सुनवाई कर, उनकी तत्काल रिहाई का फ़ैसला सुनाया गया है. इस फ़ैसले की घोषणा के बाद, जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के नेता अमीर शफ़ीकुर रहमान ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित किया और इसे न्याय की जीत बताया. उन्होंने कहा, हम बदला नहीं चाहते थे, बल्कि न्याय चाहते थे. यह फैसला साबित करता है कि सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता.(bbc.com/hindi)

बांग्लादेश: जमात-ए-इस्लामी के नेता अज़हर इस्लाम की मौत की सजा पलटी, रिहाई के आदेश
बांग्लादेश की एक अदालत ने जमात-ए-इस्लामी (बांग्लादेश) के नेता अज़हर इस्लाम को युद्ध अपराध के आरोप में दी गई मौत की सज़ा को पलट दिया है और उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए है. 30 दिसंबर 2014 को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए अज़हर इस्लाम को मौत की सज़ा सुनाई थी. सात सदस्यीय की अपीलीय पीठ ने उनकी मौत की सज़ा को पलटने और रिहाई का आदेश दिए. इस पीठ की अध्यक्षता बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश डॉ. सैयद रिफ़त अहमद ने की. अदालत ने कहा है कि अगर अज़हर इस्लाम के ख़िलाफ़ कोई अन्य मामला नहीं है तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए. जब अज़हर इस्लाम ने सज़ा के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की थी, तो अपीलीय प्रभाग ने 31 अक्तूबर 2019 को न्यायाधिकरण की दी गई सज़ा को बरकरार रखा था. इसके बाद 19 जुलाई 2020 को, उन्होंने अपीलीय प्रभाग से संबंधित शाखा में एक पुनर्विचार याचिका दायर की. इस याचिका पर ही मंगलवार को सुनवाई कर, उनकी तत्काल रिहाई का फ़ैसला सुनाया गया है. इस फ़ैसले की घोषणा के बाद, जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के नेता अमीर शफ़ीकुर रहमान ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित किया और इसे न्याय की जीत बताया. उन्होंने कहा, हम बदला नहीं चाहते थे, बल्कि न्याय चाहते थे. यह फैसला साबित करता है कि सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता.(bbc.com/hindi)