बलूचिस्तान का सवाल : गहरे संकट में पाकिस्तान, देश की अखंडता के साथ-साथ चीन की दोस्ती खोने का डर
बलूचिस्तान का सवाल : गहरे संकट में पाकिस्तान, देश की अखंडता के साथ-साथ चीन की दोस्ती खोने का डर
इस्लामाबाद, 22 मार्च। बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए न सुलझने वाली गुत्थी बनता जा रहा है। प्रांत में अलगववादी चरमपंथियों की कार्रवाईयों ने सरकार को हिला कर रख दिया है। इस प्रदेश में बढ़ती हिंसा न सिर्फ सुरक्षा के नजरिए से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी पाकिस्तान को बड़ा जख्म दे सकती है। चीन ने यहा बड़े पैमाने पर निवेश किया है लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि हाल की हिंसक घटनाओं के बाद क्या बीजिंग अपने कदम पीछे खींच सकता है। पाकिस्तान के भूमि क्षेत्र का लगभग 44% हिस्सा बलूचिस्तान का है। यह अफगानिस्तान और ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है। इस प्रांत केवल 5% कृषि योग्य है। यह अत्यंत शुष्क रेगिस्तानी जलवायु के लिए जाना जाता है लेकिन इसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर माना जाता है। इसके बावजूद विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गया है। इस प्रांत में तांबा, सोना, कोयला और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं, जो पाकिस्तान की खनिज संपदा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया को जोड़ने वाली अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, बलूचिस्तान न एक भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहमियत रखता है। बलूचिस्तान की भू-रणनीतिक अहमियत के कारण चीन की मत्वकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का एक बड़ा हिस्सा इसी प्रांत में है। सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा है और ग्वादर शहर का बंदरगाह इस प्रोजेक्ट के लिए बेहद अहम मान जाता है।
इस्लामाबाद, 22 मार्च। बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए न सुलझने वाली गुत्थी बनता जा रहा है। प्रांत में अलगववादी चरमपंथियों की कार्रवाईयों ने सरकार को हिला कर रख दिया है। इस प्रदेश में बढ़ती हिंसा न सिर्फ सुरक्षा के नजरिए से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी पाकिस्तान को बड़ा जख्म दे सकती है। चीन ने यहा बड़े पैमाने पर निवेश किया है लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि हाल की हिंसक घटनाओं के बाद क्या बीजिंग अपने कदम पीछे खींच सकता है। पाकिस्तान के भूमि क्षेत्र का लगभग 44% हिस्सा बलूचिस्तान का है। यह अफगानिस्तान और ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है। इस प्रांत केवल 5% कृषि योग्य है। यह अत्यंत शुष्क रेगिस्तानी जलवायु के लिए जाना जाता है लेकिन इसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर माना जाता है। इसके बावजूद विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गया है। इस प्रांत में तांबा, सोना, कोयला और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं, जो पाकिस्तान की खनिज संपदा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया को जोड़ने वाली अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, बलूचिस्तान न एक भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहमियत रखता है। बलूचिस्तान की भू-रणनीतिक अहमियत के कारण चीन की मत्वकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का एक बड़ा हिस्सा इसी प्रांत में है। सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा है और ग्वादर शहर का बंदरगाह इस प्रोजेक्ट के लिए बेहद अहम मान जाता है।